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चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन: ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें मंत्र, विधि और भोग

नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करने से वाले व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला और बाएं हाथ में कमंडल है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 25, 2020 20:05 IST
Chaitra navratri - India TV Hindi
Chaitra navratri 

चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। उन्हें संयम की देवी कहा जाता है। नवरात्र के दूसरे दिन पूजा करने से वाले व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला और बाएं हाथ में कमंडल है।

बह्मचारिणी नाम क्यों पड़ा?

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और नारद के कहने पर पार्वती ने शिव को पति मानकर उन्हें पाने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों सालों तक तपस्या करने के बाद इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। नवरात्र के दूसरे दिन को इसी तप को प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करके आप अपने जीवन में धन-समृद्धि, खुशहाली ला सकते है।

देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले व्यक्ति को अपने हर कार्य में जीत हासिल होती है। वह सर्वत्र विजयी होती है। अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज के दिन आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है - 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: ।' आज के दिन आपको इस मंत्र का कम से कम एक माला, यानी 108 बार जाप करना चाहिए। इससे विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित होगी।

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ब्रह्मचारिणी देवी का मंत्र
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय हाथों में एक लाल फूल लेकर देवी का ध्यान करें और हाथ जोड़ते हुए प्रार्थना करते हुए मंत्र का उच्चारण करें।

श्लोक
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||

ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले जिन देवी-देवताओ एवं गणों व योगिनियों को आपने कलश में आमंत्रित किया है। उन्हें दूध, दही, घृत और शहद से स्नान कराएं। इसके बाद इन पर फूल, अक्षत, रोली, चंदन का भोग लगाएं। इसके बाद पान, सुपारी और कुछ दक्षिणा रखकर पंडित को दान करें। इसके बाद अपने हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करते हुए बार-बार मंत्र का उच्चारण करें।

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इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी को सिर्फ लाल रंग का ही फूल चढ़ाए साथ ही कमल से बना हुआ ही माला पहनाएं। मां को चीनी का भोग लगाएं। ऐसा करने से मां जल्द ही प्रसन्न होती है। इसके बाद भगवान शिव जी की पूजा करें और फिर ब्रह्मा जी के नाम से जल, फूल, अक्षत आदि हाथ में लेकर “ऊं ब्रह्मणे नम:” कहते हुए इसे भूमि पर रखें।

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