नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है। लिहाजा 13 अप्रैल को माता शैलपुत्री का पूजा करना चाहिए। मार्केण्डय पुराण के अनुसार पर्वतराज, यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। साथ ही माता का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।
मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। जानिए मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र।
चैत्र नवरात्रि 2021: 13 अप्रैल से नवरात्र शुरू, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, कलश स्थापना का सही समय सुबह 7 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त : सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक
मेष लग्न (चर लग्न): सुबह 6 बजकर 02 मिनट से 7 बजकर 38 मिनट तक
वृषभ लग्न (स्थिर लग्न): सुबह 7 बजकर 38 मिनट से 9 बजकर 34 मिनट तक
सिंह लग्न (स्थिर लग्न): दोपहर 2 बजकर 7 मिनट से 4 बजकर 25 मिनट तक
मां शैलपुत्री पूजा विधि
नवरात्र के पहले दिन देवी के शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए । त्रिफला बनाने के लिए आंवला, हरड़ और बहेड़ा को पीस कर पाउडर बना लें। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं।
पूजा के दौरान माता शैलपुत्री के मंत्र का जप करना चाहिए | मंत्र है- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम: ऐसा करने से उपासक को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, मोक्ष तथा हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है। कहा जाता हैं कि आज के दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने और उनके मंत्र का जप करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत होता है। अतः माता शैलपुत्री का मंत्र
वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्र अर्धकृत शेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
इस प्रकार माता शैलपुत्री के मंत्र का कम से कम 11 बार जप करने से आपका मूलाधार चक्र तो जाग्रत होगा ही, साथ ही आपके धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होगी और आपको आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी।
इस दिशा में मुंह करके करें देवी की उपासना
देवी मां की उपासना करते समय अपना मुंह घर की पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके रखना चाहिए।
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