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नवरात्र का आठवां दिन, इस कारण होती है महागौरी की पूजा, साथ ही जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chaitra Navratri 2019: आज के दिन दुर्गा की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जायेगी। इसके साथ ही आज राम नवमी भी पड़ रही है। जानें महागौरी पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : April 13, 2019 6:50 IST
MAHA GAURI
MAHA GAURI

Chaitra Navratri 2019: नवरात्र के आठवें दिन दुर्गा की आठवीं शक्ति माता महागौरी की उपासना की जायेगी। इसके साथ ही आज राम नवमी भी पढ़ रही है। महागौरी का रंग पूर्णतः गोरा होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। आज के दिन महागौरी की उपासना करने से धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है और व्यक्ति के अंदर असंभव को संभव बनाने की शक्ति उत्पन्न होती है। अतः इन सब चीज़ों की प्राप्ति के लिये देवी मां की उपासना करें।

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।

आज के दिन आपको इस मंत्र का 11 बार जप  महागौरी के इस मंत्र का जप भी करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है - करना चाहिए। इससे आपके सारे काम बनेंगे।

आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप के निमित्त उपवास किया जाता है, लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करता। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेता है। इसके अलावा आज महाअष्टमी के दिन देवी मां की पूजा के साथ ही कुमारियों और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। कुमारियों को भोजन कराने से देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं। (Ram Navami 2019: आज दु्र्गाष्टमी के साथ राम नवमी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि)

महागौरी पूजन का शुभ मुहूर्त
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार अष्टमी तिथि 13 अप्रैल दोपहर पहले 11:42 पर ही समाप्त हो जायेगी, उसके बाद नवमी तिथि लग जायेगी जो कि 14 अप्रैल सुबह 09:36 तक रहेगी। इस प्रकार नवमी तिथि दो दिनों तक रहेगी और माधव कालनिर्णय के पृष्ठ 229 से 230 पर आया है कि जब नवमी दो तिथियों में हो और पहली तिथि के मध्याह्न में नवमी हो, तो नवमी का व्रत पहली तिथि को ही किया जाना चाहिए। चूंकि 14 को नवमी तिथि दोपहर होने से पहले ही सुबह 09:36 पर समाप्त हो जायेगी और 13 को नवमी तिथि दोपहर के समय रहेगी। अतः इस बार नवमी तिथि का व्रत भी अष्टमी तिथि के साथ, यानी आज ही के दिन किया जायेगा। (Navratri Kanya pujan: जानें किस दिन कन्या पूजन करना होगा शुभ, साथ ही जानिए कन्या पूजन का शुभ महूर्त और पूजा विधि

ऐसा है मां का स्वरुप
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है। इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है। महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं। इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं। महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

कराएं कन्याओं को भोजन
स्कंदपुराण में कुमारियों के भेद बताये गये हैं। 2 वर्ष की कन्या को कुमारिका कहते हैं, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहते हैं। इसी प्रकार क्रमश: कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शांभवी, दुर्गा, सुभद्रा आदि वर्गीकरण भी किये गये हैं।  मध्यकालीन निबंधों में अष्टमी के दिन कुमारी भोजन में पूड़ी के अलावा चने और मीठे हलुए का जिक्र आया है। कुमारियों को यथेष्ट भोजन कराकर दक्षिणा भी देनी चाहिए।

मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा विधि
अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। हाथ में श्वेत पुष्प लेकर मां का ध्यान करें।

अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए नहीं तो 2 कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक न हो। भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए।

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