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Navratri 2018: शारदीय नवरात्र का दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का, इस विधि से पूजा कर करें मां को प्रसन्न

नवरात्र का दूसरा दिन माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जायेगा। यहां ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या से है और ‘ब्रह्मचारिणी’ का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली। जानें पूजा विधि

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : October 10, 2018 20:03 IST
Bhramcharini maa
Bhramcharini maa

धर्म डेस्क: आश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि और गुरुवार का दिन है| आज नवरात्र का दूसरा दिन है। आज के दिन माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जायेगा। यहां ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या से है और ‘ब्रह्मचारिणी’ का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली।

हाथ में ये चीज है सुशोभित

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला और बाएं हाथ में कमंडल है। (Navratri 2018: मां को पसंद है ये भोग, जानें किस दिन मां को क्या चढ़ाएं )

इस कारण पड़ा ये नाम
शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और नारद के कहने पर पार्वती ने शिव को पति मानकर अनको पानें के लिए कठोर तपस्या की। हजारों सालों तक तपस्या करने के बाद इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। नवरात्र के दूसरें दिन को इसी तप को प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।

इस देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करके आप अपने जीवन में धन-समृद्धि, खुशहाली ला सकते है। जानिए  मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा कैसे करनी चाहिए। (Navratri 2018: व्रत के दौरान खाते हैं सेंधा नमक तो घर पर बनाएं साबूदाना टिक्की, यह है रेसिपी)

देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले व्यक्ति को अपने हर कार्य में जीत हासिल होती है। वह सर्वत्र विजयी होती है। अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज के दिन आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है - 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: ।' आज के दिन आपको इस मंत्र का कम से कम एक माला, यानी 108 बार जाप करना चाहिए। इससे विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित होगी।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार सबसे पहले जिन देवी-देवताओ एवं गणों व योगिनियों को आपने कलश में आमंत्रित किया है। उन्हें दूध, दही, घृत और शहद से स्नान कराएं। इसके बाद इन पर फूल, अक्षत, रोली, चंदन और भोग लगाएं। इसके बाद आचमन करें फिर पान, सुपारी  और कुछ दक्षिणा रखकर चढ़ाएं। इसके बाद अपने हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें।

“दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू, देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा”

इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी को अरूहूल का फूल जो लाल रंग का होता है और कमल की बनी हुई माला पहनाएं। इसके बाद भोग में मां को चीनी चढाएं। जिससे मां जल्द ही प्रसन्न होती है। इसके बाद शिव जी की पूजा करें और फिर ब्रह्मा जी के नाम से जल, फूल, अक्षत आदि हाथ में लेकर “ऊं ब्रह्मणे नम:” कहते हुए इसे भूमि पर रखें।

अब मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके साथ ही मंत्र, स्तोत्र पाठ, कवच के जाप करें। फिर घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें।

अंत में अपने दोनों हाथ जोड़कर सभी देवी देवताओं को नमस्कार करें और क्षमा प्रार्थना करते हुए इस मंत्र को बोलें-
आवाहनं न जानामि न जानामि वसर्जनं, पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरी।।

इसके बाद रोज शाम को मां दुर्गा की आरती करें और प्रसाद बाटें। इस दिन आप कन्याओं को अपने घर बुलाकर उनका पूजन करें। इसके बाद उन्हें भोजन कराकर कपड़ें आदि भेंट करें। इससे आपकी हर मनोकामना जल्द ही पूर्ण हो जाएगी

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