धर्म डेस्क: चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और शुक्रवार का दिन है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों और तीर्थ स्थल पर स्नान और दान का महत्व है। इस बार चैत्र अमावस्या 4 अप्रैल, गुरुवार से शुरु हो जाएगी। जानें शुभ मुहूर्त और महत्व।
चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त
यह 4 अप्रैल की दोपहर 12:51 से 5 अप्रैल की दोपहर 02:21 तक रहेगी और स्नान-दान का अधिक महत्व सुबह के समय होता है। जहां 4 अप्रैल को श्राद्ध कार्य के लिए अच्छा है तो वहीं 5 अप्रैल का दिन स्नान दान क लिए बेहतर माना जाता है।
चैत्र अमावस्या का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है. पितृ तर्पण करने के लिए नदी में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। इसके बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अमावस्या के दिन पितर अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान, दान व पितरों को भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
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