स्थानीय लोग भी इस कुएं को किसी मंदिर से कम नहीं मानते। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कुआं भी भगवान की तरह लोगों को शांति देने वाला है।
स्थानीय ग्रामीण राजीव कुमार बताते हैं कि वर्ष 1640 में निर्मित इस कुएं से लोगों को इतना फायदा हुआ है कि लोग इस कुएं की सेवा में लगे रहते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कुएं की बनावट इस तरह की है कि 377 साल पूर्व बनाए गए इस कुएं को आज तक किसी प्राकृतिक आपदा से क्षति नहीं पहुंची है।
गंडक नदी पर शोध कर रहे और शिक्षाविद् हाजीपुर निवासी प्रोफेसर श्याम नारायण चौधरी आईएएनएस से कहते हैं कि इस कुएं को देखने के लिए देश और विदेश के रहने वाले लोग आते हैं। उन्होंने बताया कि यहां प्रतिवर्ष लगने वाला विश्वप्रसिद्ध सोनपुर मेले के दौरान यहां लोगों की भीड़ लगी रहती है।
उन्होंने बताया, "देश-विदेश के कई शोधकर्ता भी यहां पानी का रहस्य जानने पहुंचे हैं। उनकी जांच से भी पता चला है कि सभी मुख के लिए गए जल में अलग-अलग मिनरल हैं, जिस कारण स्वाद अलग होता है।"
वैसे चौधरी यह भी कहते हैं कि अभी भी इस कुएं का जल का स्वाद अलग-अलग होना रहस्य बना हुआ है, लेकिन लोगों के लिए यह कुआं आज आस्था का केंद्र बना हुआ है।