धर्म डेस्क: कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि और शुक्रवार का दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। इसे इसे भ्रातृ द्वितीया और यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है | भइया दूज का ये त्योहार दीपावली के ठीक दो दिन बाद मनाया जाता है। ये त्योहार भाई-बहन के एक-दूसरे के प्रति स्नेह को अभिव्यक्त करता है | इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उसके उज्ज्वल भविष्य और लंबी आयु के लिए कामना करती हैं | साथ ही भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप देते हैं | इस बार भाई दूज 9 नवंबर, शुक्रवार को पड़ रहा है।
इस त्योहार का विस्तृत वर्णन भविष्योत्तर पुराण के अध्याय-14 के श्लोक 18 से 73 तक, हेमाद्रि व्रत भाग- 1 के पृष्ठ- 384 और 385 पर, काल तत्व विवेक के पृष्ठ- 405 पर, वर्षक्रिया कौमुदी के पृष्ठ- 476 से 478 तक, तिथि तत्व के पृष्ठ- 29, निर्णय सिंधु के पृष्ठ- 203 और पृष्ठ तत्व के पृष्ठ- 453 पर मिलता है |
बहन के घर जाकर भोजन करने की है परंपरा
भइया दूज के दिन अपनी बहन के घर में भोजन करने की परंपरा है। ऋगवेद में वर्णन मिलता है कि यमुना ने अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से जाना जाता है। पद्मपुराण में भी आया है कि जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता और उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है, यानी हर तरह के संकट से भाई को छुटकारा मिलता है और उसका कल्याण होता है | लेकिन अगर आपकी अपनी बहन न हो तो चाचा, बुआ या मौसी की बेटी को अपनी बहन मानकर उसके साथ भइया दूज मनाना चाहिए और अगर वो विवाहित है तो उसके घर जाकर भोजन करना चाहिए।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार ये है शुभ मुहूर्त-
सुबह 06:39 से 10:43 तक
दोपहर 12:04 से 01:26 तक
शाम 04:09 से 05:30 तक और रात 08:47 से 10:26 तक अच्छा मुहूर्त है।
इनमें से किसी भी समय में आप भाई दूज की पूजा कर सकते हैं।
भाई दूज के दिन बहनें ऐसे करें पूजा
आज के दिन सभी बहनें सुबह स्नान आदि के बाद सबसे पहले पूजा की थाली तैयार करें | इस थाली में रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीया, सिर ढकने के लिए रूमाल आदि रखें | साथ ही घर के आंगन में आटे या चावल से एक चौकोर आकृति बनाएं और गोबर से बिल्कुल छोटे-छोटे उपले बनाकर उसके चारों कोनों पर रखें। पास ही में पूजा की थाली भी रख लें। अब उस आकृति के पास भाई को आसन पर बिठा दें और भाई से कहें कि वो अपने सिर को रूमाल से ढंक ले। अब दीपक जलाएं और भइया दूज की कथा सुनें। फिर भाई के माथे पर रोली, चावल का टीका लगाएं और उसे मिठाई खिलाएं। साथ ही भाई को नारियल दें। इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जरूर दें। इससे भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान बढ़ता है।
भाई दूज के दिन करें ये भी काम
आज के दिन बिहार में दवात पूजा की परंपरा है। आज के दिन भइया दूज की पूजा के दौरान कलम की पूजा भी जरूर करनी चाहिए और पूजा के बाद श्री चित्रगुप्त को स्मरण करना चाहिए। साथ ही उनसे हाथ जोड़कर उस कलम को आशीर्वाद के रूप में प्राप्त करने का भाव करना चाहिए | इस प्रकार पूजा की गयी कलम अमोघ हो जाती है | उस कलम से लिखने पर दैवीय सहायता प्राप्त होती है और आपको अपने कार्यों में सफलता मिलती है। आप चाहें तो एक से ज्यादा कलम की पूजा भी कर सकते हैं और आने वाले पूरे साल उससे काम करके लाभ पा सकते हैं। इसके अलावा दीपावली की रात जो किताब आपने पढ़कर बंद की थी, उसे आज के दिन खोलना चाहिए और उसकी रोली-चावल से पूजा करनी चाहिए। उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर या 'श्री गणेशाय नम:' लिखकर श्री गणेश भगवान का ध्यान करना चाहिए और उन्हें प्रणाम करके पढ़ना चाहिए।
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