श्रवणबेलगोला के भट्टारक जगदगुरु स्वस्तीश्री चारुकीर्ति भट्टारकजी के सान्निध्य में होने वाले इस समारोह में इस विशाल प्रतिमा का अभिषेक श्रद्धालुओं के जयकार के बीच, पवित्र जल, केसर, चंदन, गन्ने का रस, दूध और पुष्पों के कलशों से किया जाएगा। अभिषेक का माहौल इतना आलौकिक होता है कि इस विशाल प्रतिमा के मस्तक से फुहारों के रूप में आते इन द्वयों से पूरा आसमान सतरंगी सा हो जाता है और केसर और चंदन की खुशबू पूरे माहौल को सुगंध से सराबोर कर देती है।
भट्टारकजी के अनुसार, दरअसल समारोह शांति और जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत को प्रतिपादित करता है। कर्नाटक सरकार इस समारोह के साथ सक्रियता से जुड़ी है तथा उसने इस कार्यक्रम के लिए 175 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की है। इस आयोजन में देश विदेश से लगभग पचास लाख श्रद्धालुओं के आने के अनुमान को देखते हुए 12 टाउनशिप बसाने की तैयारी पूर्ण हो चुकी है।
समारोह में लगभग 500 साधु साध्वी, मुनि आर्यिका देश के सुदूरवर्ती इलाकों से पैदल विहार करते हुए यहां पहुंचने शुरू हो गए हैं। अभिषेक के लिए जर्मन प्रौद्योगिकी से निर्मित मचान (प्लेटफार्म) के निर्माण का कार्य भी लगभग पूर्ण हो गया है। इस पर लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत आई है, इस पर लगभग 5,000 श्रद्धालु बैठ सकते हैं और अभिषेक कर सकते हैं।
इसके लिए तीन एलिवेटरों का उपयोग किया जाएगा, जिसमें से एक एलिवेटर का उपयोग अभिषेक सामग्री व दो एलिवेटरों का उपयोग श्रद्धालुओं को पहुंचाने के लिए किया जाएगा।