नई दिल्ली: फरवरी की चमकती सी सर्द-गर्म सुबह, चंद्रगिरि पर्वत पर भगवान बाहुबली की 57 फुट ऊंची भव्य प्रतिमा के पीछे अभिषेक के लिए बनी विशेष विशाल मचान। इतनी ऊंचाई पर हवा तेजी से बह रही है, सूरज अभी पूरी तेजी नहीं पकड़ पाया है, उसकी मद्धम गर्माहट और हवा के ठंडे झोंके धूप अगरबत्ती की सुगंध के साथ यहां के पवित्र माहौल को और भी पवित्र बना रहे हैं।
ऊपर खड़े हुए लग रहा है, सब कुछ कितना छोटा, अकिंचन, 620 सीढ़ियां चढ़कर बाहुबली की प्रतिमा के विशाल चरणों के पास आकर भी यही एहसास होता है, सृष्टि की विशालता के आगे छोटे बहुत छोटे होने का एहसास..मान, अंहकार, दुनियादारी से दूर एक अजीब सी शांति का अनुभव..।
यह स्मृति है, भगवान बाहुबली के 2006 में हुए महामस्तकाभिषेक के कुछ समय बाद की। विशाल प्रतिमा की चरण वंदना के बाद पीछे मुड़ी ही थी कि सफेद वस्त्रों में सौम्य से छवि वाले साधु ने अपनत्व से पूछा, 'अभिषेक के लिए आई थी क्या?' मैंने कहा, "दुर्भाग्य से तब आ नहीं पाई" बेहद तटस्थ भाव से वे बोले, "अभिषेक अब भी कर सकती हो, ऊपर मचान पर कलश रखे हैं।"
मचान के ऊपर पहुंचकर जब प्रतिमा के पीछे पहुंची तो सब कुछ इतना अलौकिक लगा, और जब कलश से प्रतिमा के मस्तक पर जल को अभिषेक के लिए अर्पित किया तो ऊपर से गिरते जल को हवा ने फुहारों में बदल दिया और पूरा माहौल अप्रतिम सा लगा।
इसी प्रतिमा का अब इसी माह बारह वर्ष बाद एक बार फिर महामस्तकाभिषेक होने जा रहा है। अभिषेक आगामी 7 फरवरी से 26 फरवरी के बीच होने जा रहा है। जैन धर्म का महाकुंभ कहे जाने वाले इस महामस्तकाभिषेक के लिए युद्ध स्तर पर हुई तैयारियां अब पूरी हो चुकी हैं।