Wednesday, November 27, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. लाइफस्टाइल
  3. जीवन मंत्र
  4. Air Pollution: गैस चैम्बर बने महानगरों को इन प्राकृतिक तरीकों बचाया जा सकता है

Air Pollution: गैस चैम्बर बने महानगरों को इन प्राकृतिक तरीकों बचाया जा सकता है

शहरीकरण हर दिन बढ़ रहा है और इसके साथ बढ़ रहा है वायु प्रदूषण। नई दिल्ली और इसके जैसे तमाम महानगर गैस चैम्बर बन चुके हैं। आम आदमी का सांस लेना मुश्किल है। आमतौर पर हम बढ़ते वायु प्रदूषण को गंभीरता से नहीं लेते लेकिन इसकी चपेट में आकर इलाज में हजारों-लाखों रुपये गंवाने के बाद होश में आते हैं।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: January 27, 2019 10:59 IST
air pollution- India TV Hindi
air pollution

नई दिल्ली: शहरीकरण हर दिन बढ़ रहा है और इसके साथ बढ़ रहा है वायु प्रदूषण। नई दिल्ली और इसके जैसे तमाम महानगर गैस चैम्बर बन चुके हैं। आम आदमी का सांस लेना मुश्किल है। आमतौर पर हम बढ़ते वायु प्रदूषण को गंभीरता से नहीं लेते लेकिन इसकी चपेट में आकर इलाज में हजारों-लाखों रुपये गंवाने के बाद होश में आते हैं। ऐसे में अगर समय रहते सम्भल जाया जाए तो गैस चैम्बर बने महानगरों में भी हम मामूली उपाय करके खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। यह भी सही है कि प्रदूषण से घबराकर हम अपने दैनिक कार्यो को रोक नहीं सकते लेकिन प्रदूषण का स्तर जब खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है तो यह हमारे शरीर पर विपरीत असर दिखाने लगता है। 

ऐसे में आयुर्वेद को अपनाकर हम प्राकृतिक उपायों के माध्यम से अपने फेफड़ों को स्वस्थ रख सकते हैं, क्योंकि वायु प्रदूषण का सबसे गम्भीर असर फेफड़ों पर ही पड़ता है। 

अगर गौर करें तो हर मिनट 18 सांस की दर से हम दिन में 26 हजार बार सांस लेते हैं। इस दौरान अरबों प्रकार के बारीक कण हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। इन बातों को ध्यान में रखे हुए हमें अपने फेफड़ों को प्राकृतिक तरीकों से स्वस्थ रखने की जरूरत है। 

आयुर्वेद के पास ऐसे उपाय हैं, जो बिना किसी विपरीत प्रभाव के हमारे शरीर को प्रदूषण के खतरों से बचा सकते हैं। और तो और अगर आयुर्वेद को लम्बे समय तक अपनाया जाए तो यह शरीर की मृत कोशिकाओं को भी जिंदा करने लगता है। इस तरह हमारे शरीर को नया जीवन मिलता है। यह चिकित्सा की किसी और पद्धति में संभव नहीं।

क्लिनिकल न्यूट्रीशियन, डाइटिशियन और हील योर बॉडी के संस्थापक डॉ. त्रेहन कहते हैं, "जो लोग भयानक प्रदूषण स्तर वाले दिल्ली, कोलकाता जैसे शहरों में रहते हैं, उनके लिए प्रदूषण संबंधी समस्याएं आम बात हैं। इन शहरों में रहने वाले लोगों को नेचुरोपैथी को अपनाना चाहिए, जिससे शरीर बिना किसी साइड इफेक्ट के स्वस्थ बना रह सकता है। आयुर्वेद में कई ऐसे तत्व हैं, जो शरीर पर प्रदूषण का असर कम करते हुए शरीर को डिटॉक्सीफाई करते हैं। ऐसे तत्वों में नीम, तुलसी, हल्दी और पीपली प्रमुख हैं। इनके सेवन से घर के अंदर और बाहर, शरीर के अंदर और बाहर किसी भी प्रकार के प्रदूषण से बचा जा सकता है।"

रजत त्रेहन का मानना है कि वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है तो स्टीम थेरेपी, फुमिगेशन, च्यवनप्राश के सेवन, डिटॉक्स चाय, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, कपालभांति प्राणायाम तथा भस्त्रीका प्राणायाम के जरिए शरीर को ऊर्जावन बनाए रखा जा सकता है। स्टीम थेरेपी में पेपरमिंट और युकेलिप्टस के तेल को गरम पानी में डालकर उसकी भाप में सांस लेना होता है। इससे सांस लेने वाले तंत्रों का शोधन होता है। 

घर में पूजा-पाठ में जलाई जाने वाली धूप से भी वातावरण स्वच्छ होता है। च्यवनप्राश के नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा मुलेठी, अदरक और हल्दी से बना काढ़ा पीने से शरीर का शोधन होता है। 

त्रेहन मानते हैं कि आयुर्वेद और योग का गहरा नाता है। आयुर्वेद स्वस्थ रहने के लिए योग को अपनाने की सलाह देता है। साइंस और मेडिसिन जनरल द्वारा प्रमाणित तीन प्रकार के प्राणायाम शरीर के लिए रामबाण हैं। अनुलोम-विलोम, कपालभाति तथा भस्त्रीका प्राणायाम के जरिए शरीर का पूर्ण शोधन करते हुए स्वस्थ शरीर का निर्माण किया जा सकता है।

त्रेहन करते हैं कि आयुर्वेद प्रदूषण से बचने के ऐसे कई उपाय बताता है, जिनका दूसरी चिकित्सा पद्धतियों कोई प्रावधान नहीं है। आयुर्वेद बिना किसी एंटीबायोटिक के उपयोग के शरीर को स्वस्थ रख सकता है। इसकी चिकित्सा पद्धतियों में 100 फीसदी प्राकृतिक तत्वों का समावेश होता है, जो शरीर को विकाररहित रखने के साथ-साथ पुनर्जीवित भी करते हैं।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement