आचार्य चाणक्य ने कई गूढ़ बाते बताई है। जिनका अनुसरण करने से आपको हर जगह सफलता मिलती है। की बार हम ऐसे काम कर देते है जो कि हमें बाद में नुकसान पहुंचाते है। इसी तरह चाणक्य ने बताया है कि आखिर किन चीजों से सावधान रहना चाहिए। जो कि आपको मानसिक के साथ-साथ शारीरिक समस्याओं से कोसों दूर रखेगा।
श्लोक
दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
सत्यपूतं वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्।।
अर्थात- पांव सदैव ठीक प्रकार से देखकर रखना चाहिए, पानी सदैव कपड़े से छानकर पीना चाहिए, शब्द सदैव सत्य के साथ बोलें और कोई भी कार्य करते समय बुद्धि का प्रयोग अवश्य करें।
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पांव सदैव ठीक प्रकार से देखकर रखना चाहिए
कई बार होता है कि हम बिना नीचे देखे चलते रहते है जिसके कारण जब देखों तब आपको ठोकरे लगती रहती हैं। इतना ही नहीं कई बार देखकर न चलने से जान पर भी बन आती है। इसीलिए आचार्य चाणक्य ने कहा कि हमेशा पांव को देखकर चलना चाहिए। जिससे आप किसी दुर्घटना से खुद को बचा सके।
पानी सदैव कपड़े से छानकर पीना चाहिए
आचार्य चाणक्य के इस बात का अर्थ है कि हमें हमेशा पानी को छानकर पीना चाहिए, क्योंकि आज भी गांवों नें तालाब, कुंआ, पोखरों से पानी पीने के लिए लाया जाता था। जो पूरी तरह से खुले होते है। ऐसे में उनमें फूल- पत्तियां, कक्कड़ आदि होते थे। जिसे छानकर पीने से वह चीजें आपके शरीर में नहीं जाएगी। जिससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।
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शब्द सदैव सत्य के साथ बोलें
जो व्यक्ति शास्त्र से शुद्धकर वाक्य बोलता है वो कभी परेशान नहीं होता। यानी जो व्यक्ति सही और गलत को जानकर सोच-समझकर कोई बात कहता है उसे बाद में कभी पछताना नहीं पड़ता। अगर आपने एक असत्य बात बोली तो उसे सही करने के लिए आफको न जाने कितने अन्य झूठ बोलने पड़ेंगे। इससे अच्छा की सत्य बोलकर उस समय डांट था लें। जिससे आने वाले समय के लिए आपको एक अच्छा सबक हो।
कार्य करते समय बुद्धि का प्रयोग
आप छोटा या बड़ा कोई भी काम कर रहे हो तो सोच-विचार और बुद्धि लगाकर ही कर। बेमन किए कार्य कभी भी अच्छी तरह से नहीं होता है। इसके साथ ही बनते-बनते कार्य बिगड़ जाते है। इसीलिए कहा गया है कि कोई भी काम करते वक्त अपने दिमाग का इस्तेमाल करे।