Baisakhi 2019: हरियाणा और पंजाब में बैसाखी का त्योहार बड़े ही जोरों-शोरों से मनाया जाता है। इस बार बैसाखी 14 अप्रैल को पड़ रही है। यह सिर्फ सिखों का नए पर्व के रुप में नहीं बल्कि कई और कारणों से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसके अलावा पंजाब में रबी की फलकर पककर तैयार हो जाती है। जानें इस बारें में कुछ बातें।
बैसाखी को कई नामों से जाना जाता है। असम में इसे 'बिहू'। बंगाल में पोइला बैसाख जैसे नामों से जाना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर साल 13 या 14 अप्रैल को बैसाखी मनाई जाती है। इस बार 14 अप्रैल को मनाई जाएंगी।
हुई थी खालसा पंथ की स्थापना
साल 1699 में सिखों के 10वें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंत की नींव रखी थी। इस दौरान खालसा पंथ की स्थापना का मकसद लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त करना था।
बैसाखी कैसे मनाते हैं?
बैसाखी के दिन पंजाब के लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं। गुरुद्वारों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन कराए जाते हैं। लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं। घरों में कई तरह के पकवान बनते हैं और पूरा परिवार साथ बैठकर खाना खाता है।
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