धर्म डेस्क: 23 अप्रैल, सोमवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। इसके साथ ही देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस माना जाता है। अतः बगलामुखी जंयती है। देवी बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इनकी उत्पत्ति सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से मानी जाती है। इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। इसीलिए इनकी पूजा में अधिक से अधिक पीले रंग की चीज़ों का इस्तेमाल किया जाता है। मां बगलामुखी को शत्रुनाश की देवी भी
कहा जाता है। इनकी नजरों से कोई शत्रु नहीं बच सकता। अतः शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिये, किसी को अपने वश में करने के लिये या कोर्ट-कचहरी आदि किसी भी तरह के कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये माता बगलामुखी की कृपा रामबाण है और उनकी उपासना के लिये आज का दिन बहुत ही श्रेष्ठ है।
आप जिस ब्रह्मास्त्र विद्या के प्रयोग के बारे में सुनते हैं, जिसका प्रयोग महाभारत में अश्वत्थामा ने अर्जुन पर किया था और उसके जवाब में अर्जुन ने भी अश्वत्थामा पर ब्रह्मास्त्र प्रयोग किया था, वह ब्रह्मास्त्र विद्या कुछ और नहीं, बल्कि देवी बगलामुखी ही हैं। देवी बगलामुखी ही ब्रह्मास्त्र विद्या हैं। आज हम आपको देवी बगलामुखी के उस खास 36 अक्षरों के मंत्र का प्रयोग भी बतायेंगे, जिसको सिद्ध करके आप कुछ भी पा सकते हैं।
मंत्रमहोदधि के अनुसार देवी बगलामुखी का वह 36 अक्षरों का मंत्र इस प्रकार है...
“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा ।”
आज के दिन देवी मां के इस मंत्र का जाप करने से आपको अपने शत्रुओं पर तो विजय मिलेगी ही, साथ ही आपके कोर्ट-कचहरी से जुड़े सारे मसले हल होंगे। आपको किसी प्रकार का भय नहीं होगा, आप अपने आपको हर तरह से सुरक्षित महसूस करेंगे। साथ ही आपको लंबी आयु की प्राप्ति होगी और हर तरह की परीक्षा में आपको सफलता मिलेगी।
अगली स्लाइड में जाने कैसे करें इस बगलामुखी मंत्र को सिद्ध