नई दिल्ली: मुझे कैंसर कैसे हो सकता है? मैं धूम्रपान नहीं करता, मैं रोजाना कसरत करता हूं, मैं सही खाना खाता हूं और मैं हर साल अपना स्वास्थ्य जांच करवाता हूं। कैंसर की पुष्टि होने पर हक्का-वक्का परेशान मरीज मुझसे अक्सर ऐसा ही कहते हैं।
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लेकिन वास्तविकता यह है कि यह किसी को भी हो सकता है। क्योंकि हमारे आसपास प्रदूषण, कीटनाशकयुक्त खानेपीने की चीजें और तनावपूर्ण जीवन है। इन सबके असर से कैंसर पैदा होता है जिस पर किसी का वश नहीं है। इससे बचने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच तो ठीक है लेकिन जागरूकता और सर्तकता समान रूप से महत्वपूर्ण है।
अगर हमारे शरीर की कोई कोशिका स्वास्थ्य जांच के अगले दिन कैंसर ग्रस्त हो जाती है तो उसका पता हमें अगले स्वास्थ्य जांच के नतीजे आने पर पता चलेगा, जोकि आमतौर पर साल भर बाद करवाया जाता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और यह शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल सकता है।
हम अपने परिवार के सदस्य, करीबी दोस्त, या सहकर्मी को जानते होंगे जो इस घातक बीमारी का सामना कर रहे हों। इसलिए इसके शुरुआती लक्षण नजर आते ही तुरंत उन्हें प्रशिक्षित कैंसर विशेषज्ञ (आंकोलोजिस्ट) से मिलना चाहिए।
हर साल कैंसर के लगभग 11 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं। इनमें से भारत में किसी भी वक्त 33 लाख लोग कैंसर से जूझ रहे होते हैं। कैंसर उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है और बुढ़ापे में कैंसर होने की संभावना काफी अधिक होती है।
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