करन्यास के बाद नीचे लिखे मंत्रों का उच्चारण करते हुए हृदयादिन्यास करना चाहिए-
ऊं ब्रां- हृदयाय नम:।
ऊं ब्रीं- शिरसे स्वाहा।
ऊं ब्रूं- शिखायैवषट्।
ऊं ब्रैं कवचाय् हुम।
ऊं ब्रौं- नेत्रत्रयाय वौषट्।
ऊं ब्र:- अस्त्राय फट्।
रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।
इन मंत्रो का जाप करने से गुरु ग्रह दोष खत्म हो जाएगा। साथ ही आपकी हर समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।