सनातन पंचांग के अनुसार आषाढ़ वर्ष का चौथा महीना होता है। ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाली भयंकर गर्मी से आषाढ़ महीने में ही राहत मिलने के असार नज़र आते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्सर जून या जुलाई महीने में आषाढ़ का महीना पड़ता है। इस सा आज यानि 25 जून से आषाढ़ का महीना शुरू हो रहा है और 24 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए आषाढ़ महीने में पड़ने वाले मुख्य व्रत-त्योहारों के बारे में।
कैसे पड़ा आषाढ़ माह नाम?
सनातम पंचांग में सभी महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। प्रत्येक महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के नाम पर रखा गया है। आषाढ़ नाम भी पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों पर आधारित हैं। आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा इन्हीं दो नक्षत्रों में से एक नक्षत्र में रहता है। जिस कारण इस महीने का नाम आषाढ़ पड़ा है। संयोगवश यदि पूर्णिमा के दिन उत्ताराषाढ़ा नक्षत्र हो, तो यह बहुत ही पुण्यदायी माना जाता है। इस संयोग में दस विश्वदेवों की पूजा की जाती है। यह भी माना जाता है कि इसी महीने से ही वर्षा ऋतु का आगमन भी हो जाता है।
Vastu Tips: घर में बिल्कुल भी नहीं बनवाना चाहिए बेसमेंट, जानिए कारण
आषाढ़ माह में पड़ने वाले व्रत-त्योहार
हरगोबिंद साहिब जी की जयंती
आषाढ़ मास के प्रतिपदा तिथि यानि आज ही सिख पंथ के छठे धर्म-गुरु हरगोबिंद साहिब जी की जयंती मनायी जायेगी। इस अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। साथ ही सामूहिक भोज यानि लंगर का भी आयोजन किया जाता है।
संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जायेगा। इस दिन उपवास कर विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करने से जातक की समस्त मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती है। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत 27 जून को किया जायेगा।
पंचक
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यानि 28 जून की दोपहर 1 बजे से शुरू होकर 3 जुलाई की सुबह 6 बजे तक पंचक रहेंगे। बता दें कि पंचक के दौरान किसी नये कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिये। साथ ही पंचक के दौरान घर की छत बनाना, लकड़ी इकठ्ठी करना या चारपाई बनाना अच्छा नहीं माना जाता है।
Vastu Tips: बिजनेस में लगातार हो रहा है घाटा तो दक्षिण-पूर्व दिशा में कराएं ये रंग, मिलेगा लाभ
श्री शीतला अष्टमी व्रत
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी या श्री शीतला अष्टमी का व्रत किया जायेगा। इस दिन व्रत रख माता शीतला की पूजा करने से व्रती को उत्तम स्वास्थ की प्राप्ति होती है। श्री शीतला अष्टमी का व्रत 2 जुलाई को किया जायेगा।
योगिनी एकादशी
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत किया जायेगा। कहते हैं योगिनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को हजारों ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है और साथ ही पापकर्मों से भी छुटकारा मिलता है। योगिनी एकादशी का यह व्रत 5 जुलाई को किया जायेगा।
प्रदोष व्रत
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानि कि 7 जुलाई को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत किया जायेगा। प्रदोष का व्रत करने से परमपिता परमेश्वर, भगवान शिव की कृपा बनी रहती है साथ ही 7 जुलाई की दोपहर पहले 11 बजकर 5 मिनट पर बुध मिथुन राशि में गोचर करेंगे।
मासिक शिवरात्रि
8 जुलाई यानि आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि का व्रत किया जायेगा उसके बाद आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या दो दिनों की पड़ रही है लेकिन स्नान-दान की अमावस्या 10 जुलाई को मनायी जायेगी।
गुप्त नवरात्रि
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है और नवमी तक चतली है। इस बार गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होकर 18 जुलाई तक चलेग।
जगन्नाथ यात्रा
12 जुलाई को जगन्नाथपूरी रथयात्रा निकाली जायेगी।
गणेश चतुर्थी
13 जुलाई को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत भी किया जायेगा। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना करके व्रत रखना शुभ माना जाता है।
दुर्गाष्टमी व्रत
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानि 17 जुलाई को दुर्गाष्टमी का व्रत किया जायेगा। साथ ही इसी दिन परशुराम अष्टमी भी मनायी जायेगी। इसके आलावा इस दिन सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर शुक्राचार्य सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।
हरिश्यनी एकादशी व्रत
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जो 20 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन हरिश्यनी एकादशी का व्रत किया जायेगा और इसके अगले दिन यानि कि- 21 जुलाई को प्रदोष व्रत किया जायेगा
पूर्णिमा
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानि 24 जुलाई को स्नान-दान की पूर्णिमा मनायी जायेग।बता दें कि यह पूर्णिमा दो दिनों की है। लिहाजा 23 जुलाई को व्रतादि की पूर्णिमा और 24 जुलाई को स्नान-दान की पूर्णिमा होगी।