नई दिल्ली: आपने कभी सोचा है आखिर क्यों 1 अप्रैल को 'फूल डे' के रूप में क्यों मनाते हैं? किसी को बेवकूफ बनाने के लिए हमनें 1 अप्रैल का दिन ही क्यों चुना है। ऐसे कई सवाल आपके दिमाग में आते होंगे लेकिन शायद ही आपको इसकी सही जवाब मिल पाया होगा। सबसे जरूर सवाल यह कि और किसी महीने में क्यों नहीं मनाया जाता अप्रैल फूल। आखिर ऐसा क्या है इस दिन को लेकर कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक आ बेवकूफ बनाने में पीछे नहीं रहते हैं।
यहां तक कि साल के किसी भी दिन बेवकूफ बनाएं और बाद में कहते है कि अप्रैल फूल बनाया। आखिर ऐसा क्या है। जो यह कहा जाता है। अप्रैल फूल डे 1 अप्रैल को मनाने के पीछे भी रोचक कहानी है। जानिए इस कहानी के बारें में।
अप्रैल फूल की शुरुआत फ्रांस से हुई थी। साल 1582 में पॉप ग्रेगरी 13 ने हर यूरोपियन देश को जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार चलने को कहा था। इस बड़े फेरबदल के कारण नया साल पूरे 3 माह बाद आने लगा। यानी कि नए ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 अप्रैल को आने लगा। जिसे कई लोगों ने मानने से इंकार कर दिया, लेकिन नया साल एक अप्रैल को मनाया जाने लगा।
फ्रांस में इसे फिश डे के नाम से मनाया जाता है। इस दिन बच्चे कागज की फिश बनाकर एक दूसरे की पीठ में चिपकाते है। यहीं कारण है कि जो लोग जनवरी में नया साल मनाते है वह लोग अप्रैल में बनाने वाले लोगों को अप्रैल फूल कहने लगे। जो कि धीरे-धीरे यूरोप में भी फैल गया।
जापान और जर्मनी के लोग पूरे दिन प्रैंक के रुप में इसे मनाते है। वहीं स्कॉटलैंड के लोग लगातार 2 दिन इसे मनाते है।