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अपरा एकादशी कल: ऐसे करें पूजा और याद रखें ये बातें

वर्षों तक तपस्या करने का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस व्रत को जरुर करना चाहिए। इस व्रत से कई पीढियों द्वारा किए गए पाप भी दूर हो जाते है। जानिए

India TV Lifestyle Desk
Updated : May 31, 2016 11:37 IST

apara

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व्रत कथा
प्राचीन काल में महिध्वज नामक धर्मात्मा राजा था। राजा का छोटा भाई ब्रजध्वज बड़ा ही अन्यायी, अधर्मी और क्रूर था। वह अपने बड़े भाई को अपना दुश्मन समझता था। एक दिन मौका देखकर ब्रजध्वज ने अपने बड़े भाई की हत्या कर दी व उसके मृत शरीर को जंगल में पीपल के वृक्ष के नीचे दबा दिया। इसके बाद राजा की आत्मा उस पीपल में वास करने लगी।

एक दिन धौम्य ऋषि उस पीपल वृक्ष के नीचे से निकले। उन्होंने तपोबल से प्रेत के उत्पात के कारण और उसके जीवन वृतांत को समझ लिया। ऋषि ने राजा के प्रेत को पीपल के वृक्ष से उतारकर परलोक विद्या का उपदेश दिया। साथ ही प्रेत योनि से छुटकारा पाने के लिए अचला एकादशी का व्रत करने को कहा। अचला एकादशी व्रत रखने से राजा का प्रेत दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चला गया।

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