हमें लगता है कि हमारे हालात खराब हैं इसलिए हम आगे नहीं बढ़ पाते लेकिन हकीकत ये है कि हमारी अपनी सोच हमें आगे नहीं बढ़ने देती। जब भी हम कुछ नया और बेहतर करना चाहते हैं तो हमारा दिमाग मुश्किलों और नाकामयाबी का ऐसा ताना-बाना बुनता है कि हम ये सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ये तो हमारी किस्मत में ही नहीं है, बेकार है कोशिश करना..लेकिन सच तो ये है कि जो अपनी मदद खुद नहीं करता..उसकी मदद तो खुदा भी नहीं कर सकते। वैसे भी कोई और तो आएगा नहीं ज़िंदगी संवारने। हिम्मत तो खुद ही करनी पड़ेगी..कदम भी खुद ही बढ़ाने पड़ेंगे तभी तो मंज़िलों का फासला तय होगा।
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बुरी किस्मत Vs अच्छी किस्मत
बचपन से ही हमारे दिमाग में कई बातें अपने आप दर्ज (feed) होती रहती हैं। जैसे किस्मत का अच्छा या बुरा होना, भाग्य से ज्यादा किसी को नहीं मिलना...हम इन बातों पर इसलिए विश्वास करने लगते हैं क्योंकि हमारे आसपास रहने वाले ज्यादातर लोग ऐसी ही बातों पर यकीन रखते हैं। ये बातें जाने-अनजाने हमारे दिमाग में इतनी गहरी बैठ जाती हैं कि जरा सी अड़चन आते ही हमें लगता है कि हमारा तो समय ठीक नहीं है इसलिए कोई काम नहीं बन रहा। और अगर गलती से थोड़ी-बहुत मेहनत कर ली और फिर भी सफलता हाथ नहीं लगी तो डंके की चोट पर ये मान लिया जाता है कि हमारी तो किस्मत ही खराब है, हमें तो कोई भी चीज कभी मिल ही नहीं सकती।
किस्मत कनेक्शन का असर
अब जब मन की गहराइयों में इतनी नकारात्मक (negative) बातें भरी रहेंगी तो हौसला कहां से आएगा। कोई भी काम करते-करते अगर खुद का मन ही निराशा से भर उठे तो यकीन मानिए वो काम कभी पूरा नहीं होगा। इसलिए ऐसा कभी मत सोचो कि एक दिन चमत्कार होगा और हमारी किस्मत बदल जाएगी। अगर हम ऐसा सोचते रहेंगे तो पूरी ज़िंदगी बीत जाएगी और वो दिन कभी नहीं आएगा इसलिए हम जहां हैं, जैसे भी हालात में हैं वहीं से एक नई शुरुआत करें। बुरे से बुरे हालात में भी हम टूटे नहीं, भरोसा बनाए रखें और खुश रहना शुरू कर दें तो किस्मत अपने आप ही बदलने लगेगी क्योंकि किस्मत भी उन्ही का साथ देती है जो अपनी मदद खुद करते हैं।
(ब्लॉग लेखिका अंशुप्रिया प्रसाद देश के नंबर वन हिंदी न्यूज चैनल इंडिया टीवी में सीनियर प्रोड्यूसर हैं)