फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि और मंगलवार का दिन है | चतुर्थी तिथि रात 3 बजे तक रहेगी। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी के साथ ही मंगलवार का दिन भी है और जब कभी चतुर्थी तिथि के दिन मंगलवार पड़ती है, तो वह अंगारकी चतुर्थी हो जाती है | अंगारकी चतुर्थी का सीधा संबंध मंगल ग्रह से है और मंगल एक तेज ग्रह है। मंगल का संबंध ताकत से है। मनुष्य की धमनियों में मंगल दौड़ते हुए खून से सम्बन्ध रखता है। इस बार अंगारकी चतुर्थी 2 मार्च को पड़ रही है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
अंगारकी गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ- 2 मार्च को सुबह 05 बजकर 48 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 3 मार्च सुबह 02 बजकर 59 मिनट तक
4 मार्च को सूर्य को गोचर, 'स', 'द' सहित इस नाम के लोग रहें संभलकर
अंगारकी गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करे। इसके बाद गणपति का ध्यान करे। इसके बाद एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं इस कपड़े के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगा जल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाए। इसके बाद लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाए। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। । गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्ती से भगवान गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
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या फिर
ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें
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चर्तुर्थी के दिन न करें इस चीज का सेवन
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार 2 मार्च को फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली का सेवन करना निषिद्ध है। सुबह 02 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इस दिन तिल का सेवन करना और दान करना शुभ माना जाता है।