धर्म डेस्क: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते है। माना जाता है कि इस एकादशी में पूजा- पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ-साथ हर पाप का भी नाश होता है। जिस तरह अक्षय नवमी में आंवले के वृक्ष की पूजा होती है उसी प्रकार आमलकी एकादशी के दिन आंवले की वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
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इस बार आमलकी एकादशी 19 मार्च, शनिवार को है। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि आमकलकी एकादशी के दिन आंवले की पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन सृष्टि के आरंभ में आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। जानिए इस दिन पूजा कैसे की जाती है साथ ही इसकी व्रत कथा क्या है?
ऐसें करें पूजा
जो इस दिन व्रत रख रहा हो वो एक दिन पहले यानी कि 18 मार्च की रात को भगवान विष्णु को ध्यान करके सोएं। दूसरे दिन सुबह जल्दी सभी कामों से निवृत्त होकर पूजा-स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या फिर मूर्ति को रखें।
इसके बाद प्रतिमा के सामने हाथ में तिल, कुश, सिक्का और जल लेकर संकल्प करें कि मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता एवं मोक्ष की कामना से आमलकी एकादशी का व्रत रखता हूं। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो, इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें।
मम कायिकवाचिकमानसिक सांसर्गिकपातकोपपातकदुरित क्षयपूर्वक श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फल प्राप्तयै श्री परमेश्वरप्रीति कामनायै आमलकी एकादशी व्रतमहं करिष्ये।
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