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Akshaya Tritiya 2021: 14 मई को अक्षय तृतीया, जानिए सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 14 मई को पड़ रही है। इस तिथि का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है जोकि सालभर में पड़ रहे है अबूझ मुहूर्तों में से एक मानी जाती

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 13, 2021 14:58 IST
Akshaya Tritiya 2021: जानें कब है अक्षय तृतीया, इस शुभ मुहूर्त में खरीदें सोना साथ ही जानें पूजा विध- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK Akshaya Tritiya 2021: जानें कब है अक्षय तृतीया, इस शुभ मुहूर्त में खरीदें सोना साथ ही जानें पूजा विधि

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 14 मई को पड़ रही है। इस तिथि का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है जोकि सालभर में पड़ रहे है अबूझ मुहूर्तों में से एक मानी जाती है।  अक्षय तृतीया एक संस्कृत शब्द है। 'अक्षय' का अर्थ है -'शाश्वत, सुख, सफलता और आनंद की कभी कम न होने वाली भावना' और 'तृतीया' का अर्थ है 'तीसरा'।  जानें अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त सहित पूजा विधि के बारें में। धार्मिक तृतीया के दिन सोना खरीदने शुभ मना जाता है। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। 

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना गया है। इस तिथि पर सूर्य और चंद्र अपनी उच्च राशि में होते हैं। इसलिए इस दिन शादी, कारोबार की शुरूआत और गृह प्रवेश करने जैसे- मांगलिक काम बहुत शुभ रहते हैं। शादी के लिए जिन लोगों के ग्रह-नक्षत्रों का मिलान नहीं होता या मुहूर्त नहीं निकल पाता, उनको इस शुभ तिथि पर दोष नहीं लगता व निर्विघ्न विवाह कर सकते हैं।

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अक्षय तृतीया पूजा और सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त

तिथि:  14 मई 2021, शुक्रवार

अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक।
तृतीया तिथि प्रारम्भ- 14 मई 2021 सुबह 5 बजकर 38 मिनट से 
तृतीया तिथि समाप्त: 15 मई सुबह 7 बजकर 59 मिनट तक। 

सोना खरीदने का मुहूर्त:  14 मई सुबह  5 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर  15 मई सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक।

अक्षय तृतीया पूजा विधि

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है। इस दिन भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना में लीन होते हैं। स्त्रियां अपने और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए।

शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती एवं चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें।

इसी दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। साथ ही फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूजा, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है।

इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।

''सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।
दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥''

अर्थात् सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है।

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