वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया पा पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 26 अप्रैल, रविवार को पड़ रहा है। इस तिथि को अक्षय तृतीया और आखा तीज मनाया जाता है। इस तिथि का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष दिन माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है लेकिन कोरोना के कारण पूरे देश नें लॉकडाउन है। जिसके चलते ज्वैलर्स की दुकानों में ताला लगा हुआ है। ऐसे में कई वेबसाइट है जहां से आप ऑनलाइन सोना खरीद सकते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 36 मिनट से 10 बजकर 42 मिनट तक है।
अक्षय तृतीया का महत्व
तृतीया के दिव सूर्य और चंद्र अपनी उच्च राशि में होते हैं। इसलिए इस दिन शादी, कारोबार की शुरूआत और गृह प्रवेश जैसे- मांगलिक कार्य होना शुरू हो जाते हैं। शादी के लिए जिन लोगों के ग्रह-नक्षत्रों का मिलान नहीं होता या मुहूर्त नहीं निकल पाता, उनको इस शुभ तिथि पर शादी करने दोष नहीं लगता है।
वास्तु टिप्स: ईशान कोण के अलावा इस दिशा में रखना चाहिए मिट्टी से बनी चीजें, मिलेगा विशेष लाभ
अक्षय तृतीया की पूजा विधि
अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है। इस दिन भक्तगण भगवान विष्णु की आराधना में लीन होते हैं। स्त्रियां अपने और परिवार की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। शांत चित्त से उनकी श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धुप-अगरबत्ती एवं चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि का चढ़ावा करें।
इसी दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। साथ ही फल-फूल, बर्तन, वस्त्र, गौ, भूमि, जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, खड़ाऊं, चावल, नमक, घी, खरबूज, चीनी, साग, आदि दान करना पुण्यकारी माना जाता है।
इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद गुलाब या पीले गुलाब से करना चाहिये।
''सर्वत्र शुक्ल पुष्पाणि प्रशस्तानि सदार्चने।
दानकाले च सर्वत्र मंत्र मेत मुदीरयेत्॥''
अर्थात् सभी महीनों की तृतीया में सफेद पुष्प से किया गया पूजन प्रशंसनीय माना गया है।
आखिर क्यों भगवान परशुराम ने 21 बार किया पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन, पढ़ें पौराणिक कथा