धर्म डेस्क: आज अक्षय नवमी है। इसे कुष्मांड नवमी भी कहते हैं। आज से विष्णु त्रिरात्रि शुरू है। आज से द्वादशी तक श्री विष्णु की स्वर्णिम प्रतिमा सहित तुलसी पूजा की जायेगी। शास्त्रों में अक्षय नवमी का बहुत महत्व बताया गया है। दीपावली के ठीक 10 दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाती है। इसे इच्छा नवमी, कुष्मांड नवमी और धातृ नवमी भी कहा जाता है।
पुराणों में इस दिन से ही द्वापर युग की शुरुआत मानी जाती है। आज अक्षय नवमी के दिन किसी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान करने का महत्व है। ऐसा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। अगर कहीं दूर नहीं जा सकते तो घर पर ही नहाने वाले पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें।
व्रतराज के पृष्ठ 347 पर उल्लेख है कि आज अक्षय नवमी के दिन ही श्री विष्णु द्वारा कूष्मांडक नामक दैत्य को मारा गया था और वध के बाद कुष्माण्डक दैत्य के रोम से कूष्माण्ड की बेल निकली थी। आम भाषा में इसे कद्दू या पेठा के नाम से जाना जाता है। इसीलिए आज के दिन कुष्माण्ड का दान करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। दान के साथ ही गन्ध, पुष्प और अक्षत आदि से कुष्माण्ड का पूजन भी करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
सुबह 6:34 से शुरू होकर 12: 04 तक रहेगा। जो कि पूरे 5 घंटे 29 मिनट रहेगा।
आंखो की रोशनी तेज करने के लिए
जिनकी नजरें कमजोर हैं, आंखों की रोशनी ठीक नहीं है या देखने में परेशानी होती है तो आज के दिन एक बड़ा-सा कद्दू लेकर, उसे ऊपर से काटकर अंदर से खोखला कर लें और उसके अंदर अपने सामर्थ्य अनुसार पैसे, सोना, चांदी या कोई अन्य दान करने योग्य चीज़ रखकर, उसकी पूजा करके किसी गरीब ब्राह्मण को दान कर दें, आपको जल्द ही लाभ देखने को मिलेगा।
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