इसके बाद आंवले के पेड़ के तने में लाल रंग का धागा बांधते हुए इस मंत्र को बोलें
दामोदरनिवासायै धात्र्यै देव्यै नमो नम:।
सूत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोस्तु ते।।
इसके बाद आंवले के वृक्ष की धूप और दीपक जलाकर आरती करें। इसके बाद आंवले के वृक्ष कम से कम 108 बार परिक्रमा इस मंत्र के साथ करें-
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।
इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें अपने अनुसार दक्षिणा दें। दान में धन, वस्त्र, स्वर्ण, भूमि, फल, अनाज आदि देना चाहिए। अगर आप पितरों की शांति चाहते तो इस दिन ब्राह्मणों को ऊनी कपड़े दें। इससे आपको अधिक लाभ मिलेगा।