नई दिल्ली: हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी कहते हैं। पौराणिक मान्याओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी आवंले के पेड़ पर निवास करते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजन का भी विधान है। साथ ही इस दिन पूजन, तर्पण, स्नान और दान का बहुत अधिक महत्व है। इस बार अक्षय नवमी 20 नवंबर, शुक्रवार को है।
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पद्म पुराण के अनुसार के अनुसार इस दिन द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। आंवला नवमी पर आंवला के वृक्ष के पूजन का बहुत अधिक महत्व है। ज्योतिषों के अनुसार इस नवमी में दान-पुण्य करन से दूसरों नवमी से कई गुना ज्यादा फल मिलता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से संतान की भी प्राप्ति होती है। जानिए अक्षय नवमी को कैसे करें आंवला वृक्ष की पूजा।
ऐसें करें आंवले के वृक्ष की पूजा
इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विधान है। अगर आपके घर में इसका वृक्ष नही है तो आप बगीचा जाकर पूजन कर सकते है। या फिर घर में ही एक गमलें में आंवला के पौधें को लगाकर पूजा-अर्चना कर सकते है। साथ ही इसके नीचे ही ब्राह्मणों को दान देना पुण्य होता है।
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