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Ahoi ashtami 2019: इस कथा को सुने बिना पूरा नहीं होता अहोई अष्टमी का व्रत

अहोई अष्टमी व्रतियों के लिए व्रत कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। जानिए पूरी व्रत कथा।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : October 19, 2019 6:03 IST
Vrat katha of Ahoi ashtami 2019
Vrat katha of Ahoi ashtami 2019

Ahoi ashtami 2019: अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ से 4 दिन बाद मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 21 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है और शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। 

अहोई अष्टमी की पौराणिक व्रत कथा

प्राचीन काल में एक साहूकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ चली गई। साहूकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी, उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बच्चों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया। जिसेक कारण साही उस पर क्रोधित हो गई और बोली कि मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

 
साहूकार की बेटी यह बात सुन कर डर गई और अपनी सातों भाभियों से एक-एक कर विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।
 
सुरही गाय सेवा से प्रसन्न होती है और उसे साही के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं। अचानक साहूकार की छोटी बहू की नजर एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार दिया है इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है।

छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें साही के पास पहुंचा देती है। वहां साही छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहू होने का आशीर्वाद देती है। साही के आशीर्वाद से छोटी बहू का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है और सभी हंसी -खुशी रहने लगते है।

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