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अगहन मास शुरु: शंख पूजन का है विशेष महत्व, जानिए पूजा विधि

पुराणों के अनुसार साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। ऐसे करें शंख का पूजन। शंख का पूजन उसी तरह करना चाहिए जिस तरह से देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। जानिए शंख पूजन की विधि।

India TV Lifestyle Desk
Updated : November 15, 2016 11:50 IST
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धर्म डेस्क:  हिंदू पंचांग के अनुसार अगहन मास की शुरुआत आज से हो गई है। यानी 15 नवंबर, मंगलवार से इस मास की शुरुआत हो गई है। जो कि 29 नवंबर, मंगलवार को अमावस्या के साथ खत्म होगी।  यह महीना श्री कृष्ण का स्वरुप माना जाता है। इस दिनों में शंख का पूजन का बहुत ही लाभदायक होता है।

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पुराणों के अनुसार साधारण शंख को श्रीकृष्ण के पंचजन्य शंख के समान समझकर उसकी पूजा करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं। ऐसे करें शंख का पूजन। शंख का पूजन उसी तरह करना चाहिए जिस तरह से देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। जानिए शंख पूजन की विधि।

शंख पूजन मंत्र

त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे।
निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:।
शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥

जानिए शंख पूजा का महत्व
सभी धार्मिक कामों में शंख का विशेष स्थान है। शंख का जल सभी को पवित्र करने वाला माना गया है, इसी वजह से आरती के बाद श्रद्धालुओं पर शंख से जल छिड़का जाता है। साथ ही शंख को लक्ष्मी का भी प्रतीक माना जाता है, इसकी पूजा महालक्ष्मी को प्रसन्न करने वाली होती है। इसी वजह से जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती।

माना जाता है समुद्र मंथन के समय शंख भी प्रकट हुआ था। विष्णु पुराण में बताया गया है कि देवी महालक्ष्मी समुद्र की पुत्री है और शंख को लक्ष्मी का भाई माना गया है। इन्हीं कारणों से शंख की पूजा भक्तों को सभी सुख देने वाली गई है। घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

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