ऐसें करें पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और भगवान को याद करते हुए व्रत और इसका पालन करें। इस दिन राम जी का भजन एवं पूजन किया जाता है। साथ ही मंदिरों में भगवान राम जी की कथा का श्रवण एवं किर्तन किया जाता है। और भंडारें का आयोजन किा जाता है। भगवान राम का संपूर्ण जीवन ही लोक कल्याण को समर्पित रहा।
रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा-स्थल में जाकर भगवान श्री राम की तस्वीर को शुद्ध जल से साफ करें। इसके बाद उनकी पूजा करेँ। इसके लिए सबसे पहले उन्हें कुमकुम, हल्दी, चंदन का तिलक लगाए। फिर भगवान राम को पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद भगवान राम की तस्वीर के सामने घी का दिया जलाएं और अगरबत्ती, धूप से वातावरण को सुगंधित करें। साथ ही उन्हें खीर या मेवे का भोग लगाएं। भगवान राम की पूजा करने के बाद रामरक्षास्त्रोत का पाठ जरुर करें। इसके साथ ही राममंत्र, सुंदरकांड का भी पाठ करें।
ये है राम कथा
हिन्दु धर्म शास्त्रो के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारो को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रुप में अवतार लिया था. श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन राजा दशरथ के घर में हुआ था। उनके जन्म पश्चात संपूर्ण सृष्टि उन्हीं के रंग में रंगी दिखाई पड़ती थी।
चारों ओर आनंद का वातावरण छा गया था प्रकृति भी मानो प्रभु श्री राम का स्वागत करने मे ललायित हो रही थी। भगवान श्री राम का जन्म धरती पर राक्षसो के संहार के लिये हुआ था। त्रेता युग मे रावण तथा राक्षसो द्वारा मचाये आतंक को खत्म करने के लिये श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम के रुप में अवतरित हुए। इन्हे रघुकुल नंदन भी कहा जाता है।
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