आपको बता दें कि कुल नौ रत्न होते हैं- माणिक्य, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनिया | इनका क्रमशः सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रहों से संबंध होता है | इन रत्नों की जादुई और अद्भुत दुनिया का मनुष्य से बहुत पुराना संबंध है | ये रत्न हमारे शरीर के पंचतत्वों को संतुलित रखने में मदद करते हैं | साथ ही इन्हें धारण करने से संबंधित ग्रह के शुभ फल प्राप्त होते हैं | इससे पहले हमने 11 मुखी और 12 मुखी रुद्राक्ष के बारे में बताया था | उसी कड़ी में आज हम चन्द्र रत्न मोती के बारे में बताएंगे।
मोती का उत्पादन मोलास्क या घोंघे के द्वारा होता है। यह पारभासी से लेकर अपारदर्शी होता है। इसकी रिलेटिव डेन्सिटी 2.60 से 2.78 तक होती है, लेकिन काले मोती की रिलेटिव डेन्सिटी थोड़ी-सी ज्यादा होती है। जबकि इसका अपवर्तनांक, यानी रिफरेक्शन 1.52 से 1.66 के बीच होता है और काले मोती का अपवर्तनांक 1.53 से 1.69 के बीच होता है।
वहीं अगर इसके केमिकल कम्पोजिशन की बात करें तो 84 परसेन्ट से 92 परसेन्ट कैल्शियम कार्बोनेट होता है, 5 से 14 प्रतिशत तक बायोलॉजिकल सब्सटेंसज या जैविक सब्सटेंसज होते हैं और शेष मात्रा में पानी होता है। जबकि इसकी हार्डनेस 3 से 4 तक होती है। मोती का गुण चित्त को शांत करने वाला समझा जाता है। मन पर इसका सीधा असर होता है। यह बहुत ही पॉपुलर रत्न है। इसकी डिमांड को देखते हुए इनकी खेती भी की जाती है। ऐसे मोतियों को कल्चर्ड मोती कहते हैं। देखिये ये मोती नकली नहीं होते। ये भी असली ही होते हैं। नकली और क्लचर्ड में बहुत डिफ्रेन्स है। कल्चर्ड मोती के अधिकतर गुणधर्म प्राकृतिक मोती से ही मेल खाते हैं, क्योंकि इनकी खेती भी वैसे ही की जाती है। कल्चर्ड मोतियों की रिलेटिव डेन्सिटी भी प्राकृतिक मोतियों की तुलना में थोड़ी-सी ज्यादा होती है।
कल्चर्ड मोती की खूबियां
अल्ट्रा वायलेट रेज़ के प्रभाव से कल्चर्ड मोती से पीले रंग की किरणें निकलती हैं, लेकिन नकली मोती में ऐसा नहीं होता। वहीं एक्सरेज़ से देखने पर कल्चर्ड मोती से हरे रंग की आभा झलकती है। यह कई आकार में पाया जाता है। मोती सरसों के दाने के बराबर छोटे से लेकर कबूतर के अण्डे के बराबर बड़े तक होता है ।
मोती दिलाए कई बीमारियों से निजात
औषधि के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता रहा है। मुक्ता भस्म, पिष्टी, अवलेह के रूप में प्राचीनकाल से मोती का इस्तेमाल होता आ रहा है। कहते हैं अवध के प्रख्यात नवाब वाजिद अली शाह के पान में जो चूना लगाया जाता था, उसमें मोती घिसा जाता था। मोती के औषधिय गुणों में इसे प्रमेह नाशक बताया गया है। आपको बता दूं कि प्रमेह कई तरह के होते हैं। अनेक प्रकार के प्रमेह में एक मधुमेह, यानी डायबिटीज़ है। यानी सीधे रूप में कहें तो मोती मधुमेह नाशक हो सकता है। इसके अलावा मोती को बलवर्द्धक, कान्तिवर्द्धक और हृदय रोगों में बहुत उपयोगी पाया गया है।
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जानें लग्न के अनुसार किन्हें मोता पहनना होगा शुभ
आचार्य इंदु प्रकाश से जानें किस लग्न वालों के लिये यह चन्द्र रत्न उपयोगी है, किस लग्न वालों को मोती पहनना चाहिए और किसको नहीं पहनना चाहिए । साथ ही इसे पहनने से क्या फायदा होगा और क्या नुकसान।
मेष लग्न
इनकी जन्मपत्रिका में चन्द्रमा चौथे घर का मालिक होता है । ये स्थान शुभ है । इसका संबंध माता, भूमि, भवन, वाहन और सुख से होता है। अतः मेष राशि वालों को मोती धारण करना चाहिए। मोती धारण करने से आपको इन विषयों के शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। वैसे भी पाराशरी के अनुसार चौथे घर का चन्द्रमा विशेष मधुर संबंध रखता है क्योंकि ये घर माता का है।
वृष लग्न
चन्द्रमा तीसरे घर का मालिक होता है, जो कि अकारक है। अगर जन्मपत्रिका में चन्द्रमा लग्न में न बैठा हो तो वृष राशि वालों को मोती नहीं पहनना चाहिए। मोती पहनने से भाई-बहनों से संबंध खराब हो जायेंगे और कुछ अपयश भी हो सकता है।
मिथुन लग्न
चन्द्रमा दूसरे घर का मालिक होता है, जो कि मारकेश है। अतः मिथुन राशि वालों को मोती नहीं पहनना चाहिए। अगर मोती पहनेंगे तो आपको डिप्रेशन, यानी मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
कर्क लग्न
चन्द्रमा राशि का स्वामी है और लग्न का स्वामी है, शरीर का स्वामी है। अतः कर्क राशि वालों को मोती जरूर पहनना चाहिए। इससे आपका माइंड एंड बॉडी कॉर्डिनेशन बेहतर हो जायेगा। मन का शरीर के साथ ताल्लुक अच्छा रहेगा और आप चीज़ें बेहतर डायरेक्शन में ले जायेंगे। मोती आपके लिये बेहद शुभ होगा। यह आपको बेहतर सेहत देगा।
सिंह लग्न
चन्द्रमा द्वादशेश, यानी बारहवें घर का मालिक होता है। अतः आपको मोती नहीं पहनना चाहिए। अगर आप मोती पहनेंगे तो आपको भारी खर्चों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही सर्दी, जुकाम, जकड़न, ये सब तकलीफ आपको हो सकती हैं।
कन्या लग्न
चन्द्रमा एकादश, यानी ग्यारहवें स्थान का स्वामी है, जो अकारक स्थान है। अतः कन्या राशि वालों को मोती नहीं पहनना चाहिए। अगर मोती पहनेंगे तो हो सकता है अचानक आपकी आमदनी बढ़ जाये, लेकिन जो मुश्किलें आयेंगी, वो उस आमदनी से कहीं ज्यादा होंगी। इसलिए आप मोती न ही पहनें, तो अच्छा है।
तुला लग्न
चन्द्रमा दसवें घर का स्वामी होता है, जो कि करियर और पिता का स्थान है। अतः तुला राशि वालों को अवश्य मोती धारण करना चाहिए। मोती पहनने से पिता को फायदा होगा और आपका करियर बेहतर होगा।
वृश्चिक लग्न
चन्द्रमा भाग्य स्थान का स्वामी है, लेकिन यहां एक विडंबना है और विडंबना ये है कि चन्द्रमा इसी राशि में, यानी वृश्चिक राशि में नीच का हो जाता है। लिहाजा वृश्चिक राशि वालों को मोती तो पहनना चाहिए, लेकिन चन्द्रमा का यंत्र भी साथ में पहनना चाहिए। बिना चन्द्र यंत्र के मोती नहीं पहनना चाहिए। क्योंकि चन्द्र यंत्र चन्द्रमा के नीचत्व को रोकेगा और मोती आपके भाग्य को बढ़ायेगा। इसलिए दोनों को साथ ही पहनें।
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