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विश्व का इकलौता मंदिर जहां पर होती है शिव के पैर के अंगूठें की पूजा

भोलेनाथ के अचलेश्वर नाम से कई मंदिर है। जो भी काफी फेमस है। इन्हीं में से एक धौलापुर के अचलेश्वर मंदिर जो दिन में तीन बार शिवलिंग अपना रंग बदलते है। इसी तरह माउंट आबू में एक शिव मंदिर है जहां पर भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है।

India TV Lifestyle Desk
Updated : February 25, 2016 12:58 IST
अचलेश्वर मंदिर
अचलेश्वर मंदिर

धर्म डेस्क: वैसे दुनिया भर में भगवान शिव के कई मंदिर है जो अपने चमत्कारों के कारण प्रसिद्ध भी है। इसी तरह भोलेनाथ के अचलेश्वर नाम से कई मंदिर है। जो भी काफी फेमस है। इन्हीं में से एक धौलापुर के अचलेश्वर मंदिर जो दिन में तीन बार शिवलिंग अपना रंग बदलते है। इसी तरह माउंट आबू में एक शिव मंदिर है जहां पर भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। जोकि विश्व का इकलौता मंदिर माना जाता है।

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राजस्थान के एक मात्र स्टेशन माउंट आबू जो अपनी खूबसूरती के कारण तो काफी प्रसिद्ध है, लेकिन इस प्राचीन मंदिर के कारण विश्व प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म की पुराण स्कंद पुराण के अनुसार माना जाता है कि जिस तरह वाराणसी शिव की नगरी है तो माउंट आबू भगवान शंकर की उपनगरी है। भगवान शिव का अचलेश्वर महादेव मंदिर माउंट आबू से उत्तर दिशा की ओर करीब 11 किलोमीटर दूर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर अचलगढ़ के किले के पास बना हुआ है।

हर शिव मंदिर की तरह की द्वार पर ही नंदी की विशाल मूर्ति है। यह मूर्ति मामूली मूर्ति नहीं बल्कि पंच धातु से बनी हुई है। मंदिर के अंदर जाने पर गर्भग्रह पर भगवान शिव के पैर के अंगूठे का निशान पाताल खंड के रुप में उभरा हुआ है।

इस पैर के अंगूठे को भगवान शिव के दहिना पैर का माना जाता है। जिसके कारण यहां पर एक मान्यता है कि जिस दिन ये अंगूठा खत्म हो जाएगा। उस दिन माउंट आबू का पहाड़ भी खत्म हो जाएगा, क्योंकि इसी अंगूठे ने इस पहाड़ को थामा हुआ है।

मंदिर परिसर में द्वारिकाधीश मंदिर भी बना हुआ है। गर्भगृह के बाहर वाराह, नृसिंह, वामन, कच्छप, मत्स्य, कृष्ण, राम, परशुराम, बुद्ध व कलंगी अवतारों की काले पत्थर की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। जानिए इस मंदिर के पीछे क्या पौराणिक कथा है।

अगली स्लाइड में पढ़े मंदिर की उत्पत्ति का पौराणिक कथा के बारें में

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