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इस्लाम के ये 5 बातें जो चौंका देंगी आपको

नयी दिल्ली: इस्लाम आज दुनियां में सबसे ज़्यादा चर्चा में है, वजह है इसके नाम पर चंद संगठनों द्वारा पूरी दुनियां में फैलाया जा रहा आतंकवाद। ISIS, अल-क़ायदा और बोकोहरम जैसे कुछ ऐसे कट्टरपंथी संगठन

India TV News Desk
Updated on: January 09, 2016 18:04 IST
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नयी दिल्ली: इस्लाम आज दुनियां में सबसे ज़्यादा चर्चा में है, वजह है इसके नाम पर चंद संगठनों द्वारा पूरी दुनियां में फैलाया जा रहा आतंकवाद। ISIS, अल-क़ायदा और बोकोहरम जैसे कुछ ऐसे कट्टरपंथी संगठन हैं जो इस्लाम की ग़लत व्याख्या कर लाखों युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। आज दुनियां में 160 करोड़ मुसलमान हैं और ये आतंकी संगठन इसका मात्र 00.03 प्रतिशत ही हैं। सच्चाई ये है कि अन्य धर्मों की तरह इस्लाम भी न सिर्फ इंसानियत और भाईचारे की बल्कि समाजवाद की भी वक़ालत करता है।

यहां हम इस्लाम से जुड़ी ऐसी 5 दिलचस्प बातें बता रहे हैं जिन्हें जानकर हो सकता है आप हैरान हो जाएं।

 
1. इस्लामिक उग्रवाद हाल ही की उपज है

आम धारमा के विपरीत इस्लाम दकियानूसी मज़हब कतई नही है बल्कि ये दूसरे धर्मों का सम्मान करना सिखाता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस्लाम उल चंद गर्मों में से है जिसने विज्ञान को बढ़ावा दिया था। दुर्भाग्य ये है कि इस्लामिक विश्व में बढ़ते धार्मिक कट्टरपन की वजह से लोगों की ये धारणा बनती जा रही है कि इस्लाम कट्टरपंथ की हिमायत करता है। इस्लाम में कट्टरपंथी 50 के दशक से अपने पैर पसारने लगे थे।

2. इस्लाम में बुर्का महिलाओं के लिये अनिवार्य नही है

क़ुरान महिलाओं और पुरुषों के लिये सलीक़े से कपड़े पहनने की बात करता है लेकिन कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं है कि चेहरा ढकना ज़रुरी है। ये एक ग़लत धारणा बनी हुई है कि मुस्लिम महिलाओं का बुर्का पहनना ज़रुरी है। दरअसल कट्टरपंथियों ने सलीक़ेदार कपड़ों की व्याख्या बुर्के से कर दी और ये मान लिया कि कोई भी महिला जो घर के बाहर जा रही हो उसका सिर ढकना ज़रुरी है।

3. दुनियां की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी की स्थापना एक मुस्लिम महिला ने की थी

इस्लाम को हमेशा से दकियानूसी और महिलाओं से नफ़रत रखने वाला धर्म माना जाता रहा है लेकिन ये ग़लत है क्योंकि इतिहास में कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जो इस अवधारणा को ग़लत साबित करते हैं। ऐसा ही एक अदाहरण है मोरक्को में अल-कराऔने यूनिवर्सिटी जिसकी स्थापना फ़ातिमा अल-फ़िहरी ने की थी जो एक अमीर व्यापारी की बेटी थीं। इस यूनिवर्सिटी में धर्म के अलावा अलंकार और खगोल विद्या जैसे विषय भी पढ़ाए जाते थे। कहा तो ये भी जाता है कि ये पहली यूनिवर्सिटी थी जो शैक्षिक डिग्रियां देती थी।

4. पहली बार 9वीं सदी में इस्लाम ने विकास के सिद्धांत को आगे बढ़ाया था

हमेशा से धर्म और विज्ञान में ठनी रही है लेकिन दिलचस्प बात ये है कि जब इस्लामिक साम्राज्य अपने चरम पर था तब वैज्ञानिकों का बहुत सम्मान होता था। मानव विकास के सिद्धांत को अल-जाहिज़ नाम के मज़हबी मुसलमान वैज्ञानिक ने 9वीं सदी में और आगे बढ़ाया था।

5. क़ुरान में पैग़ंबर मोहम्मद से पांच बार ज्यादा ज़िक्र है ईसा मसीह का

इस्लाम में ईसा मसीह को महान पैग़बरों में से एक माना जाता है हालंकि उन्हें ईश्वर की संतान नहीं माना जाता जैसी की ईसाइयों की मान्यता है।

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