10 मुखी रुद्राक्ष पर भगवान विष्णु का आधिपत्य रहता है। निर्णयसिन्धु, मंत्रमहार्णव और श्रीमद् देवीभागवत पुराण के अनुसार 10 मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है। वहीं रुद्राक्ष जाबालोपनिषद् के अनुसार इसे यमराज और दस दिक्पालों, यानी दस दिशाओं के स्वामी का वरदान प्राप्त है। अतः इतने प्रभावशाली रुद्राक्ष से आप कैसे फायदा उठा सकते हैं। इसके साथ ही जानें आचार्य इंदु प्रकाश से इसे पहनने के फायदे और कैसे करें धारण के बारे में ।
आचार्य इंदु प्रकाश के आनुसार 10 मुखी रुद्राक्ष मुख्य रूप से जादू-टोने और भूत-प्रेत के भय से बचाने के लिये बड़ा ही लाभकारी है।
10 मुखी रुद्राक्ष पहनने के लाभ
- जिन लोगों को अकेलेपन से डर लगता है, जो हर समय चिंता से घिरे रहते हें या जिन्हें अनिद्रा की शिकायत रहती है, उनके लिये 10 मुखी रुद्राक्ष रामबाण इलाज है।।
- नवग्रह की शांति और वास्तु दोषों को मिटाने में भी 10 मुखी रुद्राक्ष फायदेमंद है। इसके साथ ही किसी तरह की कानूनी परेशानी से बचने के लिये या बिजनेस के चुनाव में आ रही परेशानियों से बचने के लिये भी 10 मुखी रुद्राक्ष का उपयोग किया जा सकता है।
- अगर आपको अकेलेपन से डर लगता है, जब भी आप अकेले होते हैं, तो तरह-तरह के ख्याल आपके दिमाग में आने लगते हैं, आपको हर वक्त इस चीज़ का डर लगा रहता है कि कहीं आप पर अचानक से कोई मुसीबत ना आ जाये या कोई व्यक्ति आपसे आपकी सम्पत्ति तो नहीं छीन लेगा या आपके सुख-साधनों में कमी आ जायेगी, इस तरह के तमाम ख्यालों से बचने के लिये आपको 10 मुखी रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिए। इसके लिये आपको 10 मुखी रुद्राक्ष के साथ ही 9 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष का भी एक- एक दाना लेकर, उन्हें एक साथ पिरोकर पहनना चाहिए।
- जिन लोगों को भूत-प्रेत संबंधी किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है या जिन लोगों को इस तरह की कोई संभावना बनी रहती है और वो हमेशा इसी बात को लेकर डर डरकर रहते हैं, तो उन लोगों को भी 10 मुखी रुद्राक्ष के साथ 9 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। आप चाहें तो इसे गले में पहन सकते हैं या फिर अपने बायें हाथ में भी पहन सकते हैं। आपको बता दूं कि 9 मुखी, 10 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष का ये संयोग रक्षा बंध कहलाता है, जो हर तरह की विपरित परिस्थिति में व्यक्ति की रक्षा करता है और उसे आत्मविश्वास प्रदान करता है, ताकि वह अपना कार्य बिना किसी डर के बहादुरी के साथ पूरा कर सके।
- दस मुखी रुद्राक्ष पर दस महाविद्याओं का भी प्रभाव रहता है। अतः जो व्यक्ति दस मुखी रुद्राक्ष धारण करता है, उसे दस महाविद्याओं की भी कृपा प्राप्त होती है और उसके ऊपर किसी भी तरह की तांत्रिक क्रिया सफल नहीं होती है।
- अगर आपके ऊपर भी किसी ने जादू-टोना करवा रखा है या आप नजर दोष से पीड़ित हैं, तो आपको स्फटिक मणियों के साथ 10 मुखी रुद्राक्ष का एक दाना पिरोकर गले में धारण करना चाहिए। वहीं अगर आपके घर और कार्यालय में किसी प्रकार का वास्तु दोष बना हुआ है या आप ग्रहों की स्थिति को ठीक करना चाहते हैं, तो आपको स्फटिक मणियों के साथ 10 मुखी रुद्राक्ष की माला को अपने घर या कार्यालय में ऐसी जगह पर लटकाना चाहिए, जहां पर आस-पास की जगह खाली हो और जहां किसी प्रकार का दोष न हो। इससे वास्तु दोष और ग्रह संबंधी परेशानियां दूर होंगी और वहां का वातावरण अच्छा बना रहेगा। साथ ही घर के लोगों का चित्त भी शांत रहेगा।
- जिन लोगों का कोर्ट में कोई मुकदमा चल रहा है या जो लोग जायदाद संबंधी किसी मामले को लेकर परेशान हैं या फिर जिन लोगों के काम में बहुत ज्यादा कॉम्पिटिशन हो गया है और काम बढ़ाने का या अपनी तरक्की का कोई स्कोप नहीं मिल रहा है, उन लोगों को एक लाल धागे में 10 मुखी, 11 मुखी और 16 मुखी रुद्राक्ष का एक-एक दानापिरोकर माला धारण करनी चाहिए। क्योंकि जहां 10 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति को हर तरह से सुरक्षा प्रदान करते हैं, वहीं 16 मुखी रुदाक्ष प्रतिस्प्रर्धियों को हराने में और आपकी सफलता सुनिश्चित करने में मदद करता है।
- 10 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त होता है। साथ ही इसे धारण करने से शांति और सौंदर्य भी मिलता है। इसके अलावा 10 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को कान और हृदय संबंधी परेशानियों, जैसे दमा आदि में भी राहत मिलती है।
10 मुखी रुद्राक्ष की यूं करें पहचान
10 मुखी रुद्राक्ष की पहचान और उसे धारण करने की विधि के बारे में। इंडिया टीवी के शो 'भविष्यवाणी' में आचार्य इंदु प्रकाश ने कई बार बताया है कि रुद्राक्ष की पहचान उसमें पड़ी धारियों के आधार पर की जाती है। जिस रुद्राक्ष में जितनी धारियां पड़ी होती हैं, वह उतने ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है।
इस आधार पर जिस रुद्राक्ष में दस धारियां, यानी दस लाइन्स पड़ी होती हैं, वो दस मुखी रुद्राक्ष कहलाता है। आपको ये भी बता दूं कि रुद्राक्ष पेड़ों पर उगते
हैं और इनके पेड़ मुख्य तौर पर इंडोनेशिया और नेपाल में पाये जाते हैं और नेपाल में भी पाली क्षेत्र के रुद्राक्ष सबसे अच्छे होते हैं। इंडोनेशिया के दाने जहां चार से पन्द्रह मि.मी व्यास के होते हैं, वहीं नेपाली दाने 10 से 33 मि.मी व्यास में पाये जाते हैं। अतः रुद्राक्ष खरीदते समय आपको इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए।
ऐसे करें रुद्राक्ष धारण
रुद्राक्ष धारण करने के लिये सबसे पहले रुद्राक्ष को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं, फिर उस पर थोड़ा-सा चंदन घिस कर लगाएं। इसके बाद रुद्राक्ष को धूप दिखाएं और उस पर एक सफेद फूल चढ़ाएं। फिर शिवलिंग या शिव जी की फोटो या मूर्ति से रुद्राक्ष को स्पर्श कराकर ‘ऊँ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें। अगर विभिन्न शास्त्रों के हिसाब से रुद्राक्ष पर मंत्र जप की बात की जाये, तो मंत्र महार्णव के अनुसार 10 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र है – ऊँ ह्रीं नमः।
शिव महापुराण के अनुसार - ऊँ ह्रीं नमः।
पद्मपुराण के अनुसार - ऊँ क्षीं।
साथ ही महामृत्युंजय मंत्र –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥...
इन मंत्रों का जप करके आप रुद्राक्ष को सिद्ध कर सकते हैं और उसे धारण कर सकते हैं या किसी उचित स्थान पर स्थापित कर सकते हैं।