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मानसून में पकोड़े का सेवन आपकी सेहत पर पड़ सकता है भारी, हो सकती हैं ये समस्याएं; खाएं लेकिन ज़रा संभलकर...

मानसूनी बारिश में गरम गरम पकोड़े टेस्ट बड्स को तो लुभा सकते हैं लेकिन सावधान हो जाएं ये आपकी सेहत पर विपरीत असर भी डाल सकते हैं। बीमारियों को न्योता भी दे सकते हैं।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published on: July 30, 2024 15:12 IST
मानसून में पकोड़े खाने के नुकसान - India TV Hindi
Image Source : SOCIAL मानसून में पकोड़े खाने के नुकसान

मानसूनी बारिश में गरम पकोड़े टेस्ट बड्स को तो लुभा सकते हैं लेकिन ये आपकी सेहत पर विपरीत असर डाल सकते हैं। बीमारियों को न्योता भी दे सकते हैं। बारिश के कारण मौसम में अम्लीयता यानि एसिडिटी बढ़ जाती है। जिससे हर तरह का आहार और पानी भी अम्लीय हो जाता है, इस कारण शरीर की अग्नि पूरी तरह से कमजोर रहती है। कमजोर अग्नि की स्थिति में जब भी कोई व्यक्ति तली-भुनी, मिर्च-मसाले वाला आहार खाता है जैसे- पूड़ी, पकौड़े, कचौड़ी, भटूरे आदि तो उनको पचाने में परेशानी आती है। इसके साथ-साथ इस तरह के आहार को तलने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उनमें हाई क्वांटिटी में कैलोरी और फैट होता है। बरसात के मौसम में नियमित रूप से तला हुआ भोजन खाने से वजन बढ़ सकता है और मोटापा जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

हो सकती हैं गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियाँ

मानसून में होने वाली गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियाँ मुख्य रूप से दूषित जल पीने और खाने की वजह से होती हैं। नमी और तेज़ गर्मी के कारण बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के लिए खाने और पानी दोनों में पनपने और बढ़ने कीआदर्श परिस्थितियाँ बन जाती हैं। कभी-कभी, बाढ़ और नालियों के ओवरफ्लो होने का मतलब है कि गंदा पानी ताज़े पानी की आपूर्ति में रिसकर उसे दूषित कर देता है।

बढ़ जाती है अपच और एसिडिटी की समस्या

इसके अतरिक्त जलन, अपच, और एसिडिटी जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. तला हुआ भोजन शरीर को पोषक तत्त्व प्रदान नहीं करता है, इनमें पौष्टिकता न के बराबर होती है। तले हुए फूड शरीर को किसी भी तरह के पोषक तत्व जैसे: प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स आदि प्रदान नहीं करते। ऐसे फ़ूड के अधिक सेवन से शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट से जुड़ी समस्याएं, ब्लड शुगर बढ़ने की समस्या या लिवर की समस्या भी हो सकती है।

पकोड़े खाएं लेकिन संभल के

पकोड़े खाएं लेकिन संभल के... शुद्ध देसी घी का विकल्प अच्छा हो सकता है। सुझाते हैं कि ए 2 घी का प्रयोग सर्वोत्तम हो सकता है। ये ए 2 गाय के दूध से बना घी होता है और ये भारतीय नस्ल की गायों से प्राप्त होता है। इनमें साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि गाएं आती हैं। इनके दूध में ए 2 कैसिइन प्रोटीन पाया जाता है इसी वजह से नाम ए 2 दिया गया है। ये मिल्क ब्रेस्टफीडिंग से प्राप्त दूध, भैंसों, बकरियों और भेड़ों के समान ही होता है।

 

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