आश्विन महीने की इस पूर्णिमा को 'कुमार पूर्णिमा' या 'रास पूर्णिमा' भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात बड़ी ही खास होती है। शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर और मन को शुद्ध करके एक पॉजिटिव ऊर्जा प्रदान करते हैं। दरअसल इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के काफी नजदीक होता है, जिसके चलते चंद्रमा की रोशनी का और उसमें मौजूद तत्वों का सीधा और पॉजिटिव असर पृथ्वी पर पड़ता है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में खीर रखने का पौराणिक महत्व है। मान्यता है कि इस खीरा का सेवन करने से हर रोग से मुक्ति मिलती है। आप भी घर पर टेस्टी खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखें।
खीर बनाने के लिए सामग्री
- आधा लीटर फुलक्रीम दूध
- आधा कप बासमती चावल
- 1-2 धागे केसर
- एक चौथाई कप चीनी
- थोड़े कटे हुए काजू
- थोड़े कटे हुए बादाम, पिस्ता
- आधा चम्मच इलायची पाउडर
ऐसे बनाएं खीर
सबसे पहले चावल को धोकर 1 घंटे के लिए भिगोकर रख दें। इसके साथ ही दो चम्मच दूध में केसर भिगोंकर रखें। एक भारी तली वाला पैन में दूध डालकर गर्म करें। जब दूध में उबाल आने लगे तब इसमें केसर और चावल डालें। इसके बाद गैस धीमी करके इसे पकने दे। जिससे कि ये टेस्टी और क्रीमी हो जाएं। जब ये पक जाएं तो गैस से उतारने के 8 -9 मिनट पहले इसमें चीनी और इलायची पाउडर, नारियल और सभी मेवे डालकर अच्छी तरह मिला लें। इसे एक बड़े बाउल में निकालकर पिस्ता और बादाम से गार्निश कर सर्व करें।
खीर रखने का शुभ मुहूर्त
30 अक्टूबर को चांद निकलने का समय शाम 05 बजकर 11 मिनट है। इसी वक्त खीर बनाकर खुले आसमान में रखें।
खीर रखने का तरीका
आचार्. इंदु प्रकाश के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को दूध, चावल की खीर बनाकर, एक बर्तन में रखकर उसे जालीदार कपड़े से ढक्कर चांद की रोशनी में रखना चाहिए और अगली सुबह ब्रह्ममुहूर्त में श्री विष्णु को उस खीर का भोग लगाना चाहिए और भोग लगाने के तुरंत बाद उस खीर को प्रसाद के रूप में परिवार के सब सदस्यों में बांट देना चाहिए।
दरअसल दूध में उपस्थित लैक्टोज और कुछ अन्य तत्व, साथ ही चावल में स्टार्च की उपस्थिति चंद्रमा की किरणों में उपस्थित तत्वों को अवशोषित करने में मदद करते हैं और ये रासायनिक तत्व हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं। साथ ही पॉजिटिव एनर्जी का संचार करते हैं।