दूध सेहत के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स पाएं जाते हैं। लेकिन आज के समय में मार्केट में मिलने वाले दूध में कई तरह से मिलावट की जाती है। जिसके कारण इसके पौष्टिक तत्व तो खत्म ही होता है इसके साथ ही सेहत पर भी बुरा असर डालते हैं।
मिलावटी दूध का सेवन करने से बच्चों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। जानिए कुछ ऐसे टिप्स जिनके द्वारा आप आसानी से असली और नकली दूध की पहचान कर सकते हैं।
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असली और नकली दूध की पहचान के लिए टिप्स
पानी वाला दूध
दूध की कुछ बूंदों को लेकर किसी प्लास्टिक या किसी अन्य वस्तु के प्लेन टुकड़े पर डालें। इसके बाद इसे थोड़ा टेढ़ा करें यदि दूध की बूंद सफेद लकीर छोड़ते हुए धीरे-धीरे बह रहीं हो तो इसका मतलब दूध में पानी की मिलावट नहीं है।
डिटर्जेंट की मिलावट की पहचान
- दूध में अधिक मात्रा में डिटर्जेंट का इस्तेमाल किया जाता है। आपको बता दें कि दूध में डिटर्जेंट की अधिक मात्रा में होता है। जिसके कारण किडनी, लिवर के साथ हार्मोन्स को नुकसान पहुंच सकता है। हथेली में थोड़ा सा दूध लेकर रगड़ें। अगर हाथों में चिकनाहट नहीं होगी। वहीं अअगर डिटर्जेंट मिला होगा तो चिकनाहट जरूर होगी।
- आधा कप पानी लेकर उसनें ऊपर से तेजी से दूध गिराएं यदि उसमें झाग आ जाए तो इसमें डिटर्जेंट की मिलावट है।
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- दूध में डिटर्जेंट की मिलावट पहचानने के लिए दूध की 5-10 मिलीग्राम मात्रा किसी कांच की शीशी या टेस्ट-ट्यूब में लेकर तेजी से हिलाएं। अगर झाग बनता है तो समझ लें कि इसमें डिटर्जेंट मिला है।
सिंथेटिक दूध
- सिंथेटिक दूध सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा खरतरनाक है। इसे बनाने के लिए यूरिया, डिटर्जेंट, स्टार्च, सोड़ा जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससके कारण आपके किडनी, लिवर पर बुरा असर पड़ने के अलावा फूड पॉयजनिंग की समस्या हो सकती हैं।
- सिंथेटिक दूध की पहचान का सबसे अच्छा तरीका है कि दूध को सूंघे। अगर दूध सूंघने पर साबुन जैसे महक आ रही है तो समझ लें कि वह सिंथेटिक दूध कहते हैं।
- दूध को उबाल आने के बाद थोड़ी देर धीमी आंच में पकाएं। अगर उसके बाद मलाई पीले रंग की जमती है तो इसमें यूरिया व अन्य केमिकल मिले हैं।
दूध का रंग बदलना
असली दूध को स्टोर करने पर भी उसका रंग नहीं बदलता है लेकिन नकली दूध थोड़ी देर में ही पीला पड़ने लगता है। असली दूध उबालते समय अपना रंग नहीं बदलता है जबकि नकली दूध पीला पड़ जाता है।