प्रशांत तिवारी
'कुछ लोग अक्सर सवाल करते हैं, कि 'तुम जीने के लिए खाते हों या खाने के लिए ही जीते हो'... सबके अपने अपने जवाब होते हैं... पर मेरा सिर्फ एक ही जवाब हैं... कि मैं जीता हूँ बेहतर और अच्छा खाने के लिए।
वही अगर खाने के साथ अगर बेहतर और हेल्दी एन्वॉयरन्मेंट मिल जाएं तो फिर वाह क्या कहना है। फिर बस यूं लगेगा कि इससे अच्छा अब कुछ नहीं इस ज़िन्दगी में... और इसी चाहत और अपने शौक को पूरा करने के लिए निकल पड़ा ज़िन्दगी में नए चैप्टर की ओर... जी हां मैं भी निकल पड़ा हूं कोलंबस और वास्को द गामा कि तरह दुनिया कि नहीं बल्कि लज़ीज़ खाने कि खोज में.... एक ऐसा सफर जहां चारों ओर सिर्फ खाना और खाना की खूशबू...जो मेरे अंदर एक अलग ही रोमांच पैदा कर रहा था। बस दिल और पेट इन्हीं की खोज में था कि मेरी नजरें कहीं कुछ अच्छा और हेल्दी खाना को खोज लें।
इसी सफर में मेरा पहला पड़ाव हैं दिल्ली... जो लजीज खाने के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं और इसी दिल्ली में मुझे 'कमल ककड़ी कि चाट' खाने को मिली जो कमल के फूल की Stem से बनाई जाती हैं बहुत ही लज़ीज़ थी। वाह उसे खाते ही पर आनंद ककी प्राप्ति हुई। बस ऐसा लगा कि सुख और पूरा आनंद है तो बस यही है। मैं यहीं नहीं रुका इसके साथ मुझे सर्व किया गया Baked Cheesy Nachos, पेरी- पेरी पास्ता के साथ-साथ पिज़्ज़ा .. जो कि बहुत ही खाने में स्वादिष्ट थे...कहते है न कि खाने का मूड तब बनता है कि जब आपके आसपास की चीजों के साथ-साथ स्वादिष्ट खाना हो। खाना तो स्वादिष्ट था कि अब बात करें आसपास की तो शाम के समय के साथ चलता हुआ हल्का म्यूजिक..वाह जी वाह ..मानो जैसे म्यूजिक पेट का खाना पचा रहा हो और कह रहा हो कि थोड़ा ओर खा लो.. इसी कश्मकश में मैने इतना ज्यादा विभिन्न प्रकार के व्यंजन खा लिया कि मुझे होश ही नहीं रहा...बस मुंह से निकला वाह जी वाह क्या टेस्टी खाना है।
अब आप सोच रहे होंगे कि दिल्ली में ऐसी जगह कहां है जहां इतना लजीज व्यंजन मौजूद हैं तो हम आपको बता दें कि दिल्ली के दिल यानी कि कनाट प्लेस के 'कैफ़े हॉकर्स' में जाकर आप लज़ीज 'कमल ककड़ी की चाट' के साथ बहुत सी चीज़ों का का लुफ्त उठा सकते हैं। वैसे आपको एक बात और बता दूँ कि ये जगह ज़्यादा महंगी भी नहीं हैं। एक बेहतर शाम बिताने के लिए अच्छी जगह हैं। जो कि आपकी बजट की है। तो फिर देर किस बात की तैयार हो और अपने फूडी पेट को थोड़ा स्वादिष्ट व्यंजन चखा दें।