Highlights
- बृहस्पति जहां बैठता है उस स्थान की हानि करता है और जहां देखता है उस स्थान की वृद्धि करता है।
- जन्मपत्रिका में गुरु के स्थित होने से संतान, विद्या, घर और स्वास्थ्य आदि विषयों पर विचार किया जाता है
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार 20 नवंबर की रात 11 बजकर 19 मिनट पर गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करे रहे हैं और 13 अप्रैल 2022 की दोपहर 3:49 तक कुंभ में ही गोचर करते रहेंगे। बता दें कि इससे पहले 20 जून को गुरु कुंभ राशि में वक्री हुए थे और वक्री गति से चलते हुए 14 सितम्बर की दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर गए थे। इसके बाद 18 अक्टूबर को दोपहर पहले 11 बजे मकर राशि में ही गार्गी यानि सीधे गति से गोचर करने लगे थे और गोचर करते हुए 20 नवंबर की रात 11 बजकर 19 मिनट पर पुनः कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेंगे और 13 अप्रैल 2022 की दोपहर 3:49 तक कुंभ में ही गोचर करते रहेंगे। उसके बाद मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार गुरु एक पुरुष ग्रह है। इसकी दिशा उत्तर-पूर्व है। इसका रंग पीला है और इसका आकाश तत्व से संबंध है। जन्मपत्रिका में गुरु के स्थित होने से संतान, विद्या, घर और स्वास्थ्य आदि विषयों पर विचार किया जाता है। बृहस्पति का चरित्र यह है कि- स्थान हानि करो जीवा। बृहस्पति जहां बैठता है, उस स्थान की हानि करता है और जहां देखता है, उस स्थान की वृद्धि करता है, लेकिन देव गुरू होने के कारण इसका यह चरित्र है कि ये कितना भी खराब क्यों न हो, कभी जातक को परेशान नहीं होने देता।
गुरु के कुंभ राशि में इस गोचर से विभिन्न राशि वाले लोगों पर क्या प्रभाव होगा, गुरु उनकी जन्मपत्रिका में किस स्थान पर गोचर करेंगे, साथ ही गुरु की शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये और अशुभ फलों से बचने के लिये आपको क्या उपाय करने चाहिए। जानिए
Kartik Purnima 2021: कार्तिक पूर्णिमा, जानिए स्नान-दान और पूजा का शुभ मुहूर्त
मेष राशि
गुरु आपके ग्यारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से बुढ़ापे में आपको कुछ परेशानी हो सकती है। आपको आंखों से संबंधी कोई समस्या हो सकती है। आपके पास पैसा होते हुए भी आप परेशान हो सकते
हैं। आपकी आमदनी में कमी आ सकती है। लिहाजा गुरु की शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिए और अशुभ फलों से बचने के लिए मंदिर जाकर शाम की आरती के समय घंटी बजाएं।
वृष राशि
गुरु आपके दसवें स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपके सुख-साधनों में बढ़ोतरी होगी। आपको करियर में कई तरह के लाभ मिलेंगे। आपको राजकार्यों से लाभ मिलेगा। संतान से सहयोग मिलेगा। गुरु के इस गोचर का शुभ फल सुनिश्चित करने के लिए अपना सिर ढककर रखें और पीली पगड़ी पहनें।
Vastu Tips: जानिए घर की किस दिशा में रखना चाहिए इलेक्ट्रॉनिक सामान
मिथुन राशि
गुरु आपके नवें स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपके मुख से निकले हुए वचन पक्के होंगे। पैतृक संपत्ति से लाभ पाने के लिए आपको कोशिशें करनी पड़ेगी। इस दौरान आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। मेहनत के बल पर आपको धन लाभ होगा। लिहाजा अपने जीवन में सब कुछ बेहतर बनाएं रखने के लिए रोज मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करें।
कर्क राशि
गुरु आपके आठवें स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपको सांसारिक सुख की प्राप्ति होगी। घर के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। साथ ही आपके धन में बढ़ोतरी होगी। परेशानी आने पर स्वयं भगवान की सहायता मिलेगी। गुरु के शुभ फल पाने के लिये और किसी भी तरह के अशुभ फलों से बचने के लिए - अपने मस्तक पर हल्दी से तिलक करें।
सिंह राशि
गुरु आपके सातवें स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से इस दौरान आपकी यात्रा सुखद होगी। आपके भाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही धर्म के कार्यों में प्रसिद्धि होगी। आपके पास पैसों की कोई कमी नहीं होगी। इस दौरान आपका जीवन सुख और आराम से परिपूर्ण होगा। तो गुरु के शुभ फल बनाये रखने के लिए रत्तियाँ जो सोना तोलने के काम आती है, उन्हें एक पीले कपड़े में बांधकर या सोने के साथ रख दें।
कन्या राशि
गुरु आपके छठे स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से काम करने में रूचि कम रहेगी। आपको अपनी मेहनत के बल पर ही कोई चीज मिल पायेगी। इस दौरान आपको अपने दोस्तों के साथ अच्छे रिश्तें बनाकर रखने चाहिए। इस दौरान अगर आप किसी जरूरतमंद को दान देंगे, तो आपका भाग्य बेहतर रहेगा। लिहाजा गुरु की शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिए और अशुभ फलों से बचने के लिए कुत्ते को रोटी खिलाएं।
तुला राशि
गुरु आपके पांचवें स्थान पर गोचर करेंगे। पांचवा स्थान संतान, गुरु, विवेक और रोमांस आदि विषयों से संबंधित है। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपको संतान सुख पाने के लिए कोशिशें करनी पड़ेगी। आपको गुरु से विद्या का लाभ पाने के लिये बहुत मशक्कत करनी पड़ सकती है। रोमांस के मामले में आप पीछे रह सकते हैं। आप अपने विवेक का सही इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे। लिहाजा गुरु के अशुभ फलों से बचने के लिए और शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिए मंदिर जाकर शाम की आरती में शामिल हो।
वृश्चिक राशि
गुरु आपके चौथे स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपको धन की हानि हो सकती है। आपको किसी न किसी चीज का भय बना रहेगा। आपको जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपको अपने कार्यों में माता का साथ मिलने में परेशानी आ सकती हैं। साथ ही भूमि, भवन और वाहन का लाभ भी देरी से मिल पायेगा। अत: गुरु की अशुभ स्थिति से बचने के लिये और शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिए अपने से बड़ों का सम्मान करें।
धनु राशि
गुरु आपके तीसरे स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपको भाई और संतान का सुख प्राप्त होगा। आपके धन में वृद्धि होगी। ससुराल पक्ष से भी लाभ होगा। आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। आपको जीवन के हर क्षेत्र में सुख की प्राप्ति होगी। आप दूसरों की भलाई करेंगे, जिससे समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। आपको अपने सब कार्यों में शुभ फल प्राप्त होंगे। तो गुरु के शुभ फल बनाये रखने के लिए छोटी कन्या का सम्मान करें और उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
मकर राशि
गुरु आपके दूसरे स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपको धन की हानि हो सकती है। आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यायें परेशान कर सकती है। आपके स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। लिहाजा गुरु के अशुभ फलों से बचने के लिए और शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक पीले कपड़े में थोड़ी-सी चने की दाल बांधकर किसी मंदिर में दान करें।
कुंभ राशि
गुरु आपके पहले स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपको अधिक पैसे कमाने के लिए मेहनत जारी रखनी होगी। आपकी संतान को राजकार्य और मुकदमों में जीत हासिल होगी। साथ ही आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। जीवन में माता-पिता और अन्य लोगों का सहयोग मिलता रहेगा। लिहाजा गुरु के शुभ फल बनाये रखने के लिए सभी महिलाओं का सम्मान करें।
मीन राशि
गुरु आपके बारहवें स्थान पर गोचर करेंगे। गुरु के इस गोचर के प्रभाव से आपके भाग्य का उदय होगा। इस दौरान आप जो भी काम करेंगे, भाग्य के सहयोग से उसमें आपको सफलता मिलेगी। साथ ही शैय्या सुख की प्राप्ति होगी और संतान सुख की भी प्राप्ति होगी। गुरु की शुभ स्थिति बनाये रखने के के लिए माथे पर केसर का तिलक लगाएं या फिर एक डिब्बी में केसर डालकर अपने पास रखें।