डॉ. अग्रवाल ने कहा, "लेकिन अब ऐसे नकारात्मक सार्वजनिक जन-अभियानों के स्वर को बदलने का समय आ गया है। जब हम किसी मरीज को धूम्रपान छोड़ने के प्रयासों में नाकाम रहने के लिए ऐसा कहते हैं कि यदि आपने यह आदत नहीं छोड़ी तो आप मर जाएंगे, तो वह निराश हो सकता है। हालांकि यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि लोग धूम्रपान करने या तंबाकू उत्पादों का उपयोग करने के खतरों से वाकिफ हैं। एक सकारात्मक वाक्य या सुझाव से अधिक प्रभाव हो सकता है।"
उन्होंने बताया, "यदि बात को पॉजिटिव टोन में और सहानुभूति पूर्ण तरके से कहा जाए तो ज्यादा संभावना है कि रोगी अपनी जीवनशैली में बदलाव करने को तैयार हो जाएंगे। आईएमए सरकार के साथ-साथ सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। व्यक्तिगत तौर पर, हम डॉक्टर्स भी राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की सफलता में योगदान कर सकते हैं।"