महाप्राण ध्वनि
हवा को संस्कृत में प्राण कहते हैं। इसी आधार पर कम हवा से उच्चरित ध्वनि ‘अल्पप्राण’ और अधिक हवा से उतपन्न ध्वनि ‘महाप्राण’ कही जाती है। प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण है। इसमें विसर्ग की तरह ‘ह’ की ध्वनि सुनाई पड़ती है। सभी उष्म वर्ण महाप्राण हैं। ‘हम्म्म्म’ मंत्र का उच्चारण करते हुए गहरी और लंबी श्वास लें और बाहर छोड़ें। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए दस से पंद्रह मिनट तक यह आसन करें।