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हफ्ते में 2 बार योग करने से मिल सकता है डिप्रेशन से निजात, जानिए कैसे

योगा से आपके दिमाग में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है। अगर आप डिप्रेशन में है और आपको समझ न आ रहा है कि इससे कैसे निजात पाएं, तो आप योग की मदद ले सकते है।

India TV Lifestyle Desk
Updated : March 06, 2017 15:59 IST
yoga
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हेल्थ डेस्क: आज के समय में हम इतना व्यस्त हो गए है कि खुद की लाइफस्टाइल बिल्कुल से खराब हो गई है। जिसके कारण आपको कई न कोई बीमारी घेरे रहती हैं। जिसके कारण आप डॉक्टर के पास चक्कर लगाने लगते है।

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अगर आप चाहते है कि आप शारीरिक और मानसिक दोनो तरीकों से हेल्दी रहें तो अपने व्यस्त समय से थोड़ा सा समय निकाल कर अपने को हेल्दी रख सकते है।  योग करने के कई फायदे हैं। नियमित योग करने से से आप दिल और याद्दाश्‍त मजबूत होता है। सबसे अच्छी बात है कि योगा से आपके दिमाग में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है। अगर आप डिप्रेशन में है और आपको समझ न आ रहा है कि इससे कैसे निजात पाएं, तो आप योग की मदद ले सकते है।

एक नए अध्ययन के अनुसार हफ्ते में दो बार योग और प्राणायाम की कक्षाओं में शामिल होने और घर पर इसका अभ्यास करने वाले लोगों में अवसाद के लक्षणों को कारगर तरीके से कम किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन से इस तथ्य को बल मिलता है कि योग, अवसाद का दवाओं से इलाज का विकल्प हो सकता है या दवाओं से इलाज के साथ साथ योग की पद्धतियां अपनाकर उपचार को और कारगर बनाया जा सकता है।

अमेरिका के बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस स्ट्रीटर ने कहा, अध्ययन से उन लोगों में अवसाद के विकार को दूर करने में योग या प्राणायाम के इस्तेमाल की जरूरत रेखांकित होती है जो अवसाद दूर करने वाली दवाएं नहीं लेते और वे लोग भी जो स्थायी रूप से इस तरह की दवाओं की खुराक लेते हैं एवं जिनमैं अवसाद के लक्षण अब भी बने हुए हैं।

जर्नल ऑफ ऑल्टरनेटिव एंड कॉम्पि्लमेंटरी मेडिसिन में प्रकाशित हुए अध्ययन में आयंगर योग :योग का एक रूप: का इस्तेमाल किया गया जिसमें आसन एवं श्वसन नियंत्रण में बारीकियों एवं संरेखण पर ध्यान दिया जाता है।

अध्ययन में दो समूहों को शामिल किया गया। उनमें से एक समूह को हर हफ्ते 90 मिनट की योग की तीन कक्षाएं कराई गयीं और उन्होंने घर पर भी योग का अभ्यास किया। इसमें वे लोग थे जो दवा की बड़ी खुराक ले रहे थे। वहीं दूसरे समूह में दवा की छोटी खुराक लेने वाले लोग शामिल थे जिन्हें हर हफ्ते 90 मिनट की योग की दो कक्षाएं दी गयी और उन्होंने घर पर भी योग का अभ्यास किया। बाद में दोनों समूहों में अवसाद के लक्षणों में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गयी।

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