Year Ender 2018: वैसे कह सकते है कि साल 2018 ठीक -ठाक ही रहा वहीं स्वास्थ्य के मामले की बात करें तो कई खतरनाक बीमारियों के कारण कई मौतें हुई। दरअसल साल 2018 में कई पक्षी-जानवरों और सीजनल बीमारियों से परेशान किया। कई ऐसी खतरनाक महामारी आईं जिससे भारत ही नहीं पूरी दुनिया परेशान रहीं। जहां एक ओर डिप्थीरिया से पीड़ित बच्चों को सिरम न मिल पाने के कारण 20 गिनों के अंदर 17 बच्चों की मौंत हो गई थी। जानें ऐसी ही कुछ बीमारियों के बारें में जिन्होंने साल 2018 में लोगों को खूब रुलाया।
डिप्थीरिया (गलघोंटू)
देश की राजधानी दिल्ली में डिप्थीरिया (गलघोंटू) से सितंबर माह में 20 दिनों में 17 बच्चों की मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि अस्पताल में डिप्थीरिया सिरम न होने की वजह से बच्चों को टीका नहीं लग पाया जिससे लगातार बच्चों की मौत हुई। इस वर्ष (पिछले 9 महीनों में) डिप्थीरिया से पीडि़त 326 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए थे, जिनमें से अब तक 44 बच्चों की मौत हो चुकी है।
डिप्थीरिया को गलघोंटू नाम से भी जाना जाता है। यह कॉरीनेबैक्टेरियम डिफ्थीरिया बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। इसके बैक्टीरिया टांसिल व श्वास नली को संक्रमित करता है। संक्रमण के कारण एक ऐसी झिल्ली बन जाती है, जिसके कारण सांस लेने में रुकावट पैदा होती है और कुछ मामलों में तो मौत भी हो जाती है। यह बीमारी बड़े लोगों की तुलना में बच्चों को अधिक होती है।
चिकनगुनिया
यूं तो चिकनगुनिया कोई नई बीमारी नहीं है लेकिन इस साल चिकनगुनिया ने महामारी जैसा रूप ले लिया। चिकनगुनिया का प्रकोप इतना ज्यादा था कि लोग इसके नाम से ही कांपने लगे थे। एडिस मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी ने इस साल ना सिर्फ हड्डी तोड़ बुखार दिया बल्कि इससे कई लोगों की जानें भी गईं। एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल चिकनगुनिया के कारण कई मौंते हुई है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार चिकनगुनिया भारत ही नहीं बल्कि केन्या में भी बहुत तेजी से फैला था। जिसके कारण कई लोगों की मौंत हो गई थी।
इबोला
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)का कहना है कि कांगो में फैली इबोला बीमारी अब तक के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी महामारी है। कुछ साल पहले फैली ये महामारी पश्चिमी अफ्रीका में हजारों लोगों की जान ले चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉ. पीटर सलामा ने गुरुवार को इसे मुश्किल की घड़ी बताया। कांगो के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इबोला के मामलों की संख्या 426 पहुंच गई है। इनमें 379 मामलों की पुष्टि कर दी गई है जबकि 47 लोगों के इसकी चपेट में आने का संदेह है।
जीका
भारत में जीका का भी थोड़ा प्रकोप रहा है। इस साल कई मामले जीका से संबंधित देखे गए है। सालभर दुनियाभर में जीका का प्रकोप रहा। कुछ देशों में इसके प्रकोप से खूब मौतें भी हुईं तो कुछ में प्रेग्नेंसी महिलाओं को और उनके नवजात शिशु को इफेक्ट किय। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर के कई देशों में इस मच्छर जनित विषाणु की पहचान की गई है।
लासा फीवर
एक वायरल संक्रमण 'लासा बुखार' (Lassa Fever) ने समूचे Nigeria को अपनी गिरफ्त में ले लिया था. बहुत से लोगों को इस संक्रमण से जान गंवानी पड़ी थी। चूहों के मल-मूत्र से फैलने वाला यह संक्रमण नाइजीरिया के अलावा, लासा वायरस बेनिन, घाना, गिनी, लाइबेरिया, माली, सिएरा लियोन और पश्चिम अफ्रीका के अन्य देशों में फैला हुआ है. लासा बुखार एक गंभीर वायरल हीमोरेजिक बीमारी है, जो लासा वायरस से फैलता है। यह एरेनावाइरस परिवार का सदस्य है. यह जानवरों के जरिये होने वाली जूनोटिक बीमारी है।
मंकी पॉक्स
इस समय दुनिया के कई देशों में मंकी पॉक्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। यह एक दुर्लभ बीमारी मानी जाती है। इंग्लैंड में इससे पीड़ित 3 लोग सामने आएं है। जिसके कारण दुनियाभर के वैज्ञानिक और डॉक्टर्स इसको लेकर काफी चिंतित है। मंकी पॉक्स एक इंफेक्शन है। जो कि एक से दूसरे में आसानी से पहुंच जाती है। यहां तक की इसमें पीडित व्यक्ति की छींक के संपर्क में आने से भी यह बीमारी होने का खतरा रहता है।
निपाह वायरस
दुनियाभर के अलावा भारत में भी निपाह वायरस का प्रकोप रहा। यह चमगादड़ से फैलने वाली बीमारी है। जिसके कारण केरल और भोपाल में हाई अलर्ट कर दिया गया था। साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय से एडवाजरी दी थी कि चमगादड़ के द्वारा खाएं हुए
फलों का सेवन न करें।
आमतौर पर निपाह एक जूनोटिक (पशुजन्य) वायरस है जो जानवरों से इंसानों में होता है। यह दूषित खाने से और सीधे भी लोगों को प्रभावित करता है। उन्होंने जारी किए गए नोटिस में यह बी कहा है कि फलों और सब्जियों को खाने से पहले अच्छे से धोएं।
इन खतरनाक बीमारियों के अलावा डेंगू, हार्ट अटैक. मेलरिया के कारण भी कई लोगों की मौतें हुई।
Flash Back 2018: ये हैं 2018 में करीना कपूर के बेस्ट और हॉट लुक्स, जिसके सामने फेल हुई सभी एक्ट्रेस