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कीड़े और फंगस से बनी दुनिया की सबसे मंहगी 'हिमालय वियाग्रा', पूरी दुनिया में है जबरदस्त डिमांड

आयुर्वेद में यारशागुंबा को जड़ी-बूटी की श्रेणी में रखा गया है जो हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों में मिलता है। दरअसल यह एक मृत कीड़ा है जिसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सेक्स पावर बढ़ाने के अचुक नुस्खे होते हैं इसलिए इसे हिमालयी वियाग्रा भी कहा जाता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : July 30, 2018 9:03 IST
Yarsagumba
Image Source : FACEBOOK Yarsagumba

हेल्थ डेस्क: क्या आप कभी ये बात सोच सकते है कि किसी फंफूद की कीमत 5 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपे प्रति किलो है। जी हां लगा न झटका कि ऐसी क्या चीज है। तो लाखों-करोड़ो में बिकती है। यह है हिमालय के ऊंचे पर्वतों में पाई जाने वाला एक जड़ी बूटी। जिसका नाम है यारशागुंबा । जो कि एक मृत कीड़ा है। इसकी खासियत यह है कि ये सेक्स पावर बढ़ाने का सबसे अचूक नुस्खा है। जिसके कारण इसका नाम हिमालय की वियाग्रा रखा गया है।

जानिए कैसे दवा के रुप में होता है इस्तेमाल

यह एक फंगस है। जो कि मौत के लाखा से पैदा होता है। यहीं फंगस का काम करता है। यह डॉक्टरी बाषा में कहे तो यह दुनिया का सबसे मंहगा फंफूद है। जो कि कैंसर, अस्थमा जैसी बीमारियों से निजात दिलाता है।

हिमालयी इलाकों में मिलता है सबसे ज्यादा
कीड़े की इस भारी भरकम कीमत को देखकर आप अनुमान लगा सकते है। कि इसकी डिमांड कितनी है। भारत, तिब्बत और नेपाल में बिकने वाले इस कीड़े के गुणों को देखकर इसे आयुर्वेदिक जड़ी बूटीयों की श्रेणी में रखा गया है। जिसे हिमालयी वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है।

कैसे हुई खोज
कीड़ाजड़ी बर्फ के पिघलने के मौसम में उगती पनपती है। 3200 से 3800 मीटर की उंचाई पर स्थित हिमशिखरों पर पायी जाने वाली इस दवा का पता भारत में सबसे पहले इन्द्र सिंह राईपा नाम के एक व्यक्ति को चला। जो कुछ नेपाली युवकों को लेकर दवा को लेकर आया और इसे बेचना शुरु किया। बीजिंग ओलम्पिक तो जैसे इस जड़ी को बेचने वालों के लिए पैसे बनाने की मशीन बन गया। इस दौरान यारशागुंबा  की खूब खपत हुई। इसकी कीमतें बीस हजार रुपए किलो से लेकर 5 लाख रुपए किलो तक पहुंच गईं।

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ऐसे बनती है यारशागुंबा   
एक परजीवी फफूंद कैटरपिलर पर हमला कर मिट्टी के नीचे ममी बना देता है। बाद में मरे हुए कैटरपिलर के सिरे से एक फफूंद उगती है। इसी से यारशागुंबा बनता है। यह कीड़ा भूरे रंग का होता है जिसकी लम्बाई लगभग 2 इंच होती है। यह कीड़ा यहां उगने वाले कुछ खास किस्म के पौधों पर ही पैदा होते हैं। जिसे बड़ी ही मुश्किल से ढूंढा जाता है।

इन बीमारियों में फायदेमंद
लोगों में यह भ्रांति है कि यारशागुंबा  सिर्फ सेक्स पावस बढ़ाने के ही काम आता है। लेकिन आयुर्वेद का मानना है कि इसका उपयोग सांस और गुर्दे की बीमारी में भी होता है। यह बुढ़ापे को भी बढ़ने से रोकता है तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। हालांकि यह दवा भारत में प्रतिबंधित है।

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आ रही है यारशागुंबा में भारी गिरावट
बीसी की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के मनांग क्षेत्र में 15 सालों से यारसागुम्बा तलाश रही सीता गुरुंग कहती हैं, "पहले मैं हर दिन सौ यारसागुम्बा तक तलाश लेती थी, लेकिन अब दिन भर में मुश्किल से दस-बीस ही मिल पाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा मांग और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से यारसागुम्बा की उपलब्धता में गिरावट आ रही है। सीता कहती हैं, "जब मुझे रोजाना सौ यारसागुम्बा मिलते थे तब कीमतें बहुत कम थीं। अब जब कीमतें बढ़ गई हैं तो बहुत कम यारसागुम्बा मिलते हैं।"
 

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