बच्चों में मुख्य रूप से हेपेटाइटिस-सी का संरचरण उनकी मां से ही होता है। फिर भी कैंसर पैदा करने वाली इस बीमारी के इलाज के लिए अत्यधिक प्रभावी डायरेक्ट एक्टिंग एंटीवायरल (डीडीए) का इस्तेमाल न तो गर्भवती महिलाओं पर और न ही छोटे बच्चों पर किया जा सकता है, क्योंकि विशेषज्ञों ने अभी तक बच्चों में इस टीके की अनुसंशा नहीं की है।
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि हेपेटाइटिस-सी के मुकाबले बच्चों में नए हेपेटाइटिस-बी संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है। अध्ययन के मुताबिक टीके आने के पूर्व 1980 के दशक में प्रचलित दर 4.7 फीसदी से घटकर अब 1.3 फीसदी रह गई है।
जाहिर है कि मां से बच्चों में संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाय गए कदम और हेपेटाइटिस-बी के टीकों की तीन खुराक के वैश्विक स्तर पर फैलाने के फलस्वरूप इसके मामलों में कमी आई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, आज दुनिया के 84 फीसदी देशों में हेपेटाइटिस-बी के टीके लगवाए जाते हैं। हालांकि नवजात को दी जाने वाली प्रारंभिक खुराक के मामले में यह आंकड़ा अभी सिर्फ 39 फीसदी है।