हेल्थ डेस्क: विश्व स्ट्रोक दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को यहां एक अस्पताल की तरफ से वॉकाथन आयोजित किया गया, जिसमें स्ट्रोक को पराजित कर चुके 20 मरीजों ने भी हिस्सा लिया। फोर्टिस अस्पताल की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, वॉकाथन की अगुआई न्यूरोसर्जरी विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता, न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. ज्योति बाला शर्मा तथा आपात विभाग की अतिरिक्त निदेशक डॉ. दिना जे. शाह ने की।
इस मौके पर डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा, "समय पर समुचित इलाज की मदद से स्ट्रोक के मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं। स्ट्रोक पर विजय पाने वाले ये मरीज इस बात के सबूत हैं।"
डॉ. राहुल ने कहा, "स्ट्रोक किसी भी व्यक्ति को, किसी भी उम्र में हो सकता है। यह महिला और पुरुष दोनों को हो सकता है। आज चिंता की बात यह है कि स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं और स्ट्रोक होने की उम्र घट रही है। आज स्ट्रोक के 12 प्रतिशत मरीज 40 साल से कम उम्र के होते हैं। जो लोग उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च रक्त कालेस्ट्रॉल से ग्रस्त हैं, उन्हें स्ट्रोक होने का खतरा अधिक हो सकता है। गर्भनिरोधक दवाइयां लेने वाली महिलाओं को इसका अधिक खतरा होता है।"
डॉ. ज्योति बाला ने कहा कि आज इस बात को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि स्ट्रोक को रोका जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है।
डॉ. दीना शाह ने कहा, "भारत में स्ट्रोक खतरनाक दर से बढ़ रहा है, खास तौर पर युवकों में और इसका मुख्य कारण बढ़ता तनाव, खराब खान-पान एवं स्थूल जीवनशैली है। अगर स्ट्रोक का उपचार नहीं हो तो इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को काफी क्षति पहुंच सकती है और इसके कारण शरीर का कोई अंग काम करना बंद कर सकता है या बोलने में दिक्कत हो सकती है।"
उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में स्ट्रोक की रोकथाम और उसकी चिकित्सा के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए 29 अक्तूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस का आयोजन किया जाता है।
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