निमोनिया सांस से जुड़ी बीमारी है। जिसका समय पर इलाज न होने के कारण मरीज की मौत भी हो सकती है। देश में करीब 4 करोड़ से ज्यादा लोग निमोनिया से पीड़ित हैं, वहां पर इसकी रोकथाम और जांच के बारे में खास कर सर्दियों में सेहत के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद आवश्यक है। इस बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और बुजुर्ग लोग हो रहे हैं।
निमोनिया के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 12 नवंबर को वर्ल्ड निमोनिया डे सेलिब्रेट किया जाता है। WHO के अनुसार पूरी दुनिया में करीब एक-तिहाई बच्चे इस बीमारी से ग्रसित है। जानें निमोनिया के बारे में सबकुछ।
क्या है निमोनिया?
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। आमतौर पर बुखार या फिर जुकाम के बाद मरीज निमोनिया का शिकार हो जाता है। लेकिन उन लोगों के लिए यह बीमारी खतरनाक साबित होती है जिनकी इम्यूनिटी सिस्टम बहुत ही कमजोर होता है। निमोनिया होने के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भर जाता है। यह खतरनाक बीमारी 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को हो जाता है।
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निमोनिया के लक्षण
- तेज बुखार
- कफ हो जाना, खांसी के साथ हरे या भूरे रंग का गाढ़ा बलगम आना या फिर कभी-कभी हल्का-सा खून आ जाना
- उल्टी
- दस्त
- भूख न लगना
- होंठों का नीला पड़ना
- बहुत ज्यादा कमजोरी लगना
- सांस लेने में दिक्कत
- दांत किटकिटाना
- दिल की धड़कने का तेज हो जाना।
- सांस तेजी से चलने लगना।
- डायरिया
- सिरदर्द
- जोड़ों में दर्द
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