हेल्थ डेस्क: हर साल की तरह आज यानि 25 अप्रैल को मलेरिया दिवस के रूप मे मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्या उद्देश्य है लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक बनाना। हर साल की तरह आज यानि 25 अप्रैल को मलेरिया दिवस के रूप मे मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्या उद्देश्य है लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक बनाना।
आपको बता दें कि विश्व मलेरिया दिवस की स्थापना मई 2007 में 60वें विश्व स्वास्थ्य सभा के दैरान की गई थी। आपको बता दें, मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गंवा देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को तीन अफ्रीकी देशों- घाना, केन्या और मलावी को दुनिया का पहला मलेरिया टीका दिए जाने की घोषणा की। इस टीका का वितरण
देखें क्या कहते हैं आंकड़ेपूरी दुनिया की 3।3 अरब जनसंख्या में लगभग 106 से देश हैं जिनमें मलेरिया का खतरा है।
साल 2012 में मलेरिया के कारण लगभग 6,27,000 मौतें हुई जिनमें से अधिकतर अफ्रीकी, एशियाई, लैटिन अमेरिकी बच्चे शामिल हैं।
भारत में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और मेघालय और नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों से आए हैं।
59 साल पहले पड़ी थी देश में पंचायती राज व्यवस्था की नींव
2016 में दुनियाभर में मलेरिया के 21।60 करोड़ मामले दर्ज हुए और 4।45 लाख मौतें हुर्इं।
2015 में मलेरिया में 21।10 करोड़ मामले थे और 4।46 लाख मौतें हुर्इं थी।
मलेरिया से मुक्ति पाने के लिए 2030 तक केंद्र सरकार ने देश को मलेरिया से मुक्त करने की योजना बनाई थी।
आपको बता दें, भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश है जहां मलेरिया से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
मलेरिया बीमारी में सबसे ज्यादा मौतें नाइजीरिया में हुई है। मलेरिया पर 2017 में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि भारत दुनिया के उन 15 देशों में शामिल है जहां मलेरिया के सबसे अधिक मामले आते हैं। टाइम्स ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 69 फीसदी मौतें मलेरिया से होती हैं।