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World Kidney Day 2019: करें इस हर्ब का सेवन और पाएं किडनी संबंधी हर बीमारी से निजात

World Kidney Day:  हाल ही में पुस्तिका 'इंडो-अमेरिकन जर्नल ऑफ फॉर्मास्युटिकल रिसर्च' में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, पुनर्नवा में गोखुरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, कमल ककड़ी जैसी बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा 'नीरी केएफटी' गुर्दे में क्रिएटिनिन, यूरिया व प्रोटीन को नियंत्रित करती है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: March 13, 2019 10:39 IST
Boerhavia diffusa- India TV Hindi
Boerhavia diffusa

World Kidney Day: आयुर्वेद में पुनर्नवा पौधे के गुणों का अध्ययन कर भारतीय वैज्ञानिकों ने इससे 'नीरी केएफटी' दवा की है, जिसके जरिए गुर्दा (किडनी) की बीमारी ठीक की जा सकती है। गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ्य हो सकती हैं। साथ ही संक्रमण की आशंका भी इस दवा से कई गुना कम हो जाती है। हाल ही में पुस्तिका 'इंडो-अमेरिकन जर्नल ऑफ फॉर्मास्युटिकल रिसर्च' में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, पुनर्नवा में गोखुरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद, कमल ककड़ी जैसी बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा 'नीरी केएफटी' गुर्दे में क्रिएटिनिन, यूरिया व प्रोटीन को नियंत्रित करती है। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वस्थ्य करने के अलावा यह हीमोग्लोबिन भी बढ़ाती है। नीरी केएफटी के सफल परिणाम भी देखे जा रहे हैं।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रोफेसर डॉ. के.एन. द्विवेदी का कहना है कि रोग की पहचान समय पर हो जाने पर गुर्दे को बचाया जा सकता है। कुछ समय पहले बीएचयू में हुए शोध से पता चला है कि गुर्दा संबंधी रोगों में नीरी केएफटी कारगार साबित हुई है।

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के किडनी विशेषज्ञ डॉ. मनीष मलिक का कहना है कि देश में लंबे समय से गुर्दा विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है। ऐसे में डॉक्टरों को एलोपैथी के ढांचे से निकलकर आयुर्वेद जैसी वैकल्पिक चिकित्सा को अपनाना चाहिए। आयुर्वेदिक दवा से अगर किसी को फायदा हो रहा है तो डॉक्टरों को उसे भी अपनाना चाहिए।

आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीते माह केंद्र सरकार ने आयुष मंत्रालय को देशभर में 12,500 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना करने की जिम्मेदारी सौंपी है। इन केंद्रों पर आयुष पद्धति के जरिए उपचार किया जाएगा। यहां वर्ष 2021 तक किडनी की न सिर्फ जांच, बल्कि नीरी केएफटी जैसी दवाओं से उपचार भी दिया जाएगा।

उन्होंने यह भी बताया कि गुर्दा की बीमारी की पहचान के लिए होने वाली जांच को सभी व्यक्तियों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि मरीजों को शुरुआती चरण में ही उपचार दिलवाया जा सके।

एम्स के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. अग्रवाल का कहना है कि हर दिन 200 गुर्दा रोगी ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इनमें 70 फीसदी मरीजों के गुर्दा फेल पाए जाते हैं। उनका डायलिसिस किया जाता है। प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) ही इसका स्थायी समाधान है। प्रत्यारोपण वाले मरीजों की संख्या भी काफी है। इस समय एम्स में गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए आठ माह की वेटिंग चल रही है। यहां सिर्फ 13 डायलिसिस की मशीनें हैं, जो वार्डो में भर्ती मरीजों के लिए हैं। इनमें से चार मशीनें हेपेटाइटिस 'सी' और 'बी' के मरीजों के लिए हैं। एम्स में सप्ताह में तीन दिन गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गुर्दा खराब होने पर मरीज को सप्ताह में कम से कम दो या तीन बार डायलिसिस देना जरूरी है। मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देश में सालाना 6,000 किडनी प्रत्यारोपण हो रहे हैं। इसलिए लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है।

यह भी जानिए :

  • 1,200 गुर्दा विशेषज्ञ हैं देश में
  • 1,500 हीमोडायलिसिस केंद्र हैं देश में
  • 10,000 डायलिसिस केंद्र भी हैं
  • 80 फीसदी गुर्दा प्रत्यारोपण हो रहे निजी अस्पतालों में
  • 2,800 गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं एम्स में

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