क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (COPD)
यह फेफड़ों से जुड़ी लॉन्ग टर्म बीमारी है जिसमें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस और इम्फिसेमा COPD के 2 प्रकार हैं। साल 2004 में दुनियाभर में 6 करोड़ 41 लाख लोग COPD बीमारी के साथ रह रहे थे जबकि 2015 में करीब 31 लाख लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हो गई। 2015 में दुनियाभर में 5.6 प्रतिशत लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हुई थी।
रिस्क फैक्टर्स
ऐक्टिव और पैसिव दोनों तरह की स्मोकिंग, केमिकल के धूंए की वजह से फेफड़ों में जलन, फैमिली हिस्ट्री, बचपन में श्वास संबंधी इंफेक्शन रहा हो तो।
बचाव के तरीके
COPD को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता, सिर्फ दवाओं से कम कर सकते हैं, ऐक्टिव और पैसिव स्मोकिंग से बचें, अगर फेफड़ों में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
रेस्परेट्री कैंसर
रेस्परेट्री यानी श्वास संबंधी कैंसर जिसमें श्वासनली, कंठ, ब्रॉन्कस और फेफड़ों का कैंसर शामिल है के होने की 2 मुख्य वजह है। पहला- धूम्रपान या दूसरों के धूम्रपान की वजह से निकलने वाले धुएं में सांस लेना और दूसरा- वातावरण में मौजूद जहरीले कण। साल 2015 की एक स्टडी के मुताबिक श्वास संबंधी कैंसर की वजह से दुनियाभर में 40 लाख लोगों की हर साल मौत होती है। विकासशील देशों में तो पलूशन और स्मोकिंग की वजह से इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है।
रिस्क फैक्टर्स
वैसे तो श्वास संबंधी कैंसर किसी को भी हो सकता है लेकिन धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने वालों में खतरा अधिक होता है, फैमिली हिस्ट्री और वातावरण के कारक भी इसमें शामिल हैं।
बचाव के तरीके
फेफड़ों के कैंसर से बचने के लिए धूल-धूंआ और तंबाकू से बचें।