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World Autism Awareness Day: भूलकर भी न रहें ऐसी जगहों पर, हो सकता है बच्चों के लिए खतरनाक

नक और शोर शराबे के शौकीन लोग अक्सर सड़क के आसपास अपना घर बनाने का सपना देखते हैं, लेकिन ऐसे लोगों को थोड़ा चौकन्ना होने की जरूरत है क्योंकि ऐसी जगहों पर रहने वालों के बच्चों में ऑटिज्म होने का खतरा दो गुना तक बढ़ सकता है।

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 02, 2018 15:45 IST
world autism day 2018 - India TV Hindi
world autism day 2018

हेल्थ डेस्क: रौनक और शोर शराबे के शौकीन लोग अक्सर सड़क के आसपास अपना घर बनाने का सपना देखते हैं, लेकिन ऐसे लोगों को थोड़ा चौकन्ना होने की जरूरत है क्योंकि ऐसी जगहों पर रहने वालों के बच्चों में ऑटिज्म होने का खतरा दो गुना तक बढ़ सकता है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।

ऑटिज्म के लक्षण

ऑटिज्म अर्थात स्वलीनता एक ऐसी बीमारी है, जिसके शिकार बच्चे अपने आप में खोए रहते हैं, उन्हें दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं रहती। वह सामाजिक रूप से अलग-थलग रहते हैं, किसी से घुलते मिलते नहीं और बात करने से भी हिचकते हैं। ऐसे बच्चों को पढ़ने लिखने में समस्या होती है और उनके दिमाग और हाथ पैर के बीच तालमेल नहीं बन पाता, जिससे उनका शरीर किसी घटना पर प्रतिक्रिया नहीं दे पाता।

इस कारण ऑटिज्म होने का खतरा सबसे ज्यादा
इस बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए दुनियाभर में तरह तरह के शोध और अध्ययन किए जा रहे हैं। एक नए अध्‍ययन में यह बात सामने आई है कि व्यस्त सड़कों के आसपास जन्म लेने वाले बच्‍चों में ऑटिज्‍म का खतरा शांत और प्रदूषण रहित इलाकों में जन्म लेने वाले बच्चों की तुलना में दोगुना तक बढ़ जाता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर कई गाड़ियां आती-जाती हैं। गर्भवती महिलाएं इनसे निकलने वाले धुएं के संपर्क में आती हैं जो गर्भ में पल रहे शिशु के मस्‍तिष्‍क पर काफी बुरा असर डालता है। इसके चलते उनके पैदाइश के पहले वर्ष के दौरान ऑटिज्‍म होने की आशंका बढ़ जाती है।

कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने इसके लिए ऑटिज्म के शिकार 279 बच्चों और 245 स्वस्थ बच्चों की उम्र और उनके पारिवारिक परिवेश की तुलना कर अध्ययन किया। यातायात प्रदूषण वाले क्षेत्र के घरों में रहने वाले बच्चों में ऑटिज्म होने की आशंका बहुत अधिक जाती है।

मालूम हो कि 100 में से एक बच्‍चा जन्‍म के शुरुआती वर्ष में ऑटिज्‍म की चपेट में आता है। लेकिन इस बीमारी के लक्षण दूसरे वर्ष में नजर आने शुरू होते हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्‍चे दूसरों के साथ आसानी से संवाद नहीं कर पाते।

वायु प्रदूषण भी बन सकता है ऑटिज्म का कारण
वैज्ञानिक यातायात प्रदूषण और ऑटिज्म के बीच संबंधों की संभावना लंबे समय से तलाश कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। शोधकर्ता अपने इस काम को बेहद महत्त्‍वपूर्ण मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह बात तो हम लंबे वक्‍त से जानते थे कि वायु प्रदूषण हमारे फेफड़ों और विशेष कर बच्चों के लिए खतरनाक है। अब हम वायु प्रदूषण के दिमाग पर असर को लेकर आगे अध्ययन कर रहे हैं। ये निष्कर्ष आर्काईव्स ऑफ जनरल साइकाइट्री नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।

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